आज भी अद्वितीय है हुसेनाबाद की ऐतिहासिक रामलीला
# आज भी अद्वितीय है हुसेनाबाद की ऐतिहासिक रामलीला
जौनपुर। नगर के हुसेनाबाद की ऐतिहासिक रामलीला का मंचन आधुनिकता की चकाचौध भी नहीं रोक पा रही है। पिछले 74 वर्षों से स्थानीय कलाकार ही हर पात्र का रोल अदा करते हैं। खास बात यह है कि रोल अदा करने वालों में कोई इंजीनियर है तो कोई सरकारी कर्मचारी। राम, लक्ष्मण समेत सभी पात्रों का रोल निभाने वाले लोग प्रदेश के बाहर व प्रदेश के अन्य जनपदों में रहते हैं लेकिन रामलीला शुरू होने से पहले सभी लोग छुट्टी लेकर घर पर पहुंचकर अपना रोल निभाते है। बता दें कि श्री राम लीला समिति हुसेनाबाद की स्थापना 1943 में हुआ था। रामलीला का मंचन शिवाजी श्रीवास्तव, काशीनाथ श्रीवास्तव, छैल बिहारी लाल, दीप नारायण श्रीवास्तव, दुर्गा प्रसाद श्रीवास्तव, राम नरेश मिश्र, अवधेश मिश्र, ललित मोहन श्रीवास्तव, हृदय मोहन श्रीवास्तव समेत मोहल्ले के दर्जनों लोगों ने शुरू किया। शुरूआती दौर में सीमित संसाधनों के बावजूद लोगों ने अपनी प्रतिभा के बल पर लीला का ऐसा मंचन किया कि यहां की राम लीला पूरे जिले में प्रसिद्ध हो गयी। यहां की रामलीला देखने के लिये नगर के मियांपुर, जोगियापुर, ओलन्दगंज, वाजिदपुर, लाइन बाजार, खरका, मतापुर, नखास समेत दर्जनों मोहल्लों के हजारों लोग आज भी जुटते हैं। अपने पूर्वजों की इस विरासत को आज भी इस मोहल्ले लोग सहेज कर रखे हैं।
धनुष टूटते ही जय श्रीराम के जयघोष से गूंजा गगन
जौनपुर। रामलीला समिति हुसेनाबाद द्वारा नारद मोह, रामजन्म, ताड़का वध, धनुष यज्ञ और परशुराम-लक्ष्मण संवाद की लीला का मंचन किया गया। रामलीला की शुरूआत नारद मोह से हुआ जिसके बाद रामजन्म का मंचन किया गया। यज्ञ को भंग करने आयी ताड़का का भगवान श्रीराम व लक्ष्मण ने वध किया। ताड़का वध के बाद भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और विश्वामित्र जनकपुरी पहुंचे। धनुष यज्ञ में राजा जनक ने दूर-दूर के राजाओं को आमंत्रण दिया। राजा-महाराजाओं ने भागीदारी करके सीता माता के साथ विवाह करने की इच्छा जाहिर किया लेकिन माता से विवाह करने के लिये कोई भी धनुष तोड़ना तो दूर, उसे हिला भी नहीं सका। गुरू की आज्ञा लेने के बाद भगवान श्रीराम ने जैसे ही धनुष तोड़ा, वैसे ही रामलीला प्रांगण में बैठे दर्शकों ने तालियां बजायी और जयश्री राम के नारे लगाये। लीला मंचन में दशरथ की भूमिका मोहन जी मिश्र, राम की विशू श्रीवास्तव, लक्ष्मण की राज रावत, सीता की सुमित रावत, रावण की राजेश यादव, बाणासुर की विनोद शुक्ला, परशुराम की गगन तिवारी, विश्वामित्र की भूमिका छोटू श्रीवास्तव ने निभायी।
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