आज रसूल की सीरत पर चलने की जरूरत हैः मौलाना गुलाम अली
जौनपुर। अय्यामे अजा का दो महीना खत्म हो गया है और अब सिर्फ 8 दिन बचा है। ऐसे में जिले में मजलिस, मातम व जुलूसों का सिलसिला जारी है। बीती रात शाही किला गेट के पास स्थित इमामबाड़ा मीर जामीन अली पेशकार मरहूम में सै. अफजाल हुसैन व तैय्यबा बीबी के इसाले सवाब की मजलिस हुई। इस मौके पर खेताब करते हुये मौलाना गुलाम अली खान ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम जो हम लोगों के बीच जिन्दा हैं, वे अहलेबैत की कुर्बानी की देन हैं। इस्लाम को दुनिया में फैलाने के लिये हजरत मोहम्मद मुस्तफा व उनके नवासों ने अपनी कुर्बानी देकर बचाया है। आज हम सबको उनको बताये रास्तों पर चलने की जरूरत है। कुछ लोग इस्लाम की दूसरी सीरत पेश कर रहे हैं। इस्लाम के नाम पर कुछ लोग पूरी दुनिया में आतंकवाद फैलाने में जुटे हैं। उनसे बचने की जरुरत है, क्योंकि इस्लाम ने हमेशा भाईचारगी व सद्भाव बनाने का संदेश दिया है। इसके पहले सोजख्वानी सै. गौहर अली जैदी सहित उनके हमनवां ने पढ़ा। पेशखानी डा. इंतेजार मेंहदी, सै. कायम रजा रिजवी व मुफ्ती हाशिम मेंहदी ने संयुक्त रूप से किया। मोहम्मद अली ने दर्द भरे नौहा पढ़कर कर्बला के शहीदों को नजराने अकीदत पेश किया। इस अवसर पर सै. अहमद अली, शाहिद मेंहदी, सदफ सभासद, रूमी आब्दी, डा. सज्जाद मेंहदी, कांग्रेस जिलाध्यक्ष फैसल हसन तबरेज, श्रीकांत श्रीवास्तव एडवोकेट, रिजवान हैदर, आजम जैदी, सरवर अहमद, बब्बी खान, अजादार हुसैन, रियाजुल हक, नयाब हसन, सै. जौहर हुसैन, अलमदार हुसैन, हसन जाहिद खान, हसन मेंहदी, नवाज हसन, अदीब, मिर्जा रमी, माजिद हसन, साजिद हसन, शाहवेज हैदर सहित तमाम लोग मौजूद थे। संचालन हसनैन कमर दीपू ने किया। अन्त में सैय्यद अंजार कमर व अफरोज कमर ने संयुक्त रूप से सभी के प्रति आभार प्रकट किया।
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