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आध्यात्मिक था महात्मा गांधी का जीवन दर्शनः प्रो. सुन्दर लाल

# आध्यात्मिक था महात्मा गांधी का जीवन दर्शनः प्रो. सुन्दर लाल
सात दिवसीय ईटीआई ट्रेनिंग का हुआ समापन
जौनपुर। महात्मा गांधी की सामाजिक व्यवस्था हथियारों में नहीं आत्मबलिदान में विश्वास करती थी। वैश्विक पर्यावरण, आधी आबादी के प्रति हिंसा और एकता के प्रश्न पर गांधी के विचार आज जितने प्रांसगिक हैं, उतना और किसी विचारक के नहीं। यह बातें बतौर मुख्य अतिथि पूर्वांचल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. सुंदर लाल ने सोमवार को वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना की तरफ से ईटीआई के सात दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के समापन अवसर पर कही। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी युग पुरुष थे। उन्होंने जहां एक ओर भारतीयों में स्वाधीनता की भावना जागृत की। वहीं दूसरी तरफ लोगों को सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाते हुए पराधीनता की मुक्ति से ऊपर उठकर स्वराज की स्थापना भारतीय जनमानस में की। गांधीजी का पूरा जीवन और दर्शन आध्यात्मिक था। उन्होंने देश और समाज की नब्ज पकड़ी, समता-अहिंसा की वकालत की। गांधी जी ने वर्तमान सामाजिक सभ्यताओं पर जो सवाल खड़े किए वह आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने साउथ अफ्रीका में भारतीयों के साथ होने वाले भेदभाव और अत्याचार को बहुत करीब से देखा था इसी कारण उसके खिलाफ लड़े। एनएसएस समन्यवक डा. राकेश कुमार यादव ने कहा कि आज गांधी जी हमारे बीच नहीं है किंतु उनकी प्रेरणा के प्रकाश की किरण आज अंतिम व्यक्ति तक पहुंच रही है। गांधी जी हमेशा ग्रामीण भारत की बात करते थे वे जानते थे कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है। विशिष्ट अतिथि वित्त अधिकारी एमके सिंह ने कहा कि महात्मा गांधी ने सत्य अहिंसा के साथ श्रम सादगी और नैतिकता को अपनाकर पूरे विश्व में इंसानियत की दृष्टि दी। डा. वीरेन्द्र विक्रम सिंह ने एनएसएस के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता डा. मनराज यादव ने किया। समापन समारोह के अवसर पर प्रशिक्षण ले रहे कार्यक्रम अधिकारियों को प्रमाण पत्र वितरित किया गया। स्वागत भाषण एवं धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम समन्वयक राकेश कुमार यादव ने किया। कार्यक्रम का संचालन डा. अजय कुमार सिंह ने किया।

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