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देश जल रहा है, फिर भी चल रहा है.........

# देश जल रहा है, फिर भी चल रहा है.........
काव्य मंच की गोष्ठी में बही काव्य की धारा
जौनपुर। अखिल भारतीय काव्य मंच के तत्वावधान में सातवीं गोष्ठी का आयोजन संस्थापक डा. प्रमोद वाचस्पति के आवास पर हुई। गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ रचनाकार सभाजीत द्विवेदी ने किया। कवियत्री सविता अंशुमान मां सरस्वती की वंदना किया जिसके बाद डा. अजय विक्रम सिंह ‘देश जल रहा है, फिर भी चल रहा है’ पढ़ा तो लोगों ने मुक्त कण्ठ से सराहा। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ शायर डा. पीसी विश्वकर्मा ‘प्रेम जौनपुरी’ ने ‘शोहरत के आसमां पे ठहरता नहीं कोई कितने ही आफताब उगे और ढल गये’ पढ़कर गोष्ठी को काफी ऊंचाइयां प्रदान किया। मुख्य अतिथि वरिष्ठ शायर आकिल जौनपुरी की रचना ‘इस कदर खौफनाक मंजर है, शेर कहना भी हो गया दूभर। हर तरफ पत्थरों की बारिश है, आदमी अब कहां रहे जाकर’ ने खूब वाहवाही बटोरी। अध्यक्षता कर रहे श्री द्विवेदी ने अपने काव्य पाठ के माध्यम से सभी को गुदगुदाया। डा. ओपी खरे की पंक्ति ‘जो राख हो चुका है लौटेगा भला क्या? मुरझा गया जो फूल वो महकेगा भला क्या? ने काफी तालियां बटोरी। शायर आशिक जौनपुरी ‘की पंक्तियों को बिना बतलाये दिल को चुरा लेते हैं अक्सर, बातों को इशारों में बता देते हैं अक्सर’ को लोगों ने खूब पसंद किया। कवि राजेश पाण्डेय एडवोकेट की रचना ‘इस जहां में तू चाहे जहां जाओगे। इक जमीन इक आसमा पाओगे।’ लोगों को गम्भीर चिंतन करने पर मजबूर कर दिया तो कवियत्री डा. सीमा सिंह की पंक्ति ‘ना तख्त चाहिए, ना हमें ताज चाहिए, हमको तो हमीं जैसा हमराज चाहिए’ काबिलेतारीफ रही। इसी क्रम में डा. संजय सिंह सागर, डा. अंगद राही, आशुतोष पाल, नन्द लाल समीर, दमयंती सिंह, शकुंतला शुक्ला, सुभाष चन्द्र श्रीवास्तव, अंसार जौनपुरी, रामजीत मिश्र, मोनिस जौनपुरी, गीता श्रीवास्तव सहित अन्य कवियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी। इस मौके पर संस्था के महामंत्री फूलचन्द भारती ने समस्त कवियों व शायरों का माल्यार्पण करके सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन संस्थापक डा. प्रमोद वाचस्पति ने किया। अन्त में संस्थाध्यक्ष असीम मछलीशहरी ने सभी के प्रति आभार जताया।

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