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आरती नियमानुसार कीजिए

# आरती  नियमानुसार  कीजिए
पूजा पाठ या धार्मिक अनुष्‍ठान को पूरा  करने के बाद आरती की जाती है ।
 लेकिन अगर आरती नियनुसार  न की जाय तो पूजा स्‍वीकार नही होती ।
पूजा पाठ किया और उसके बाद भगवान की आरती करने मे मग्‍न हो जाते है । आरती चाहे ओम जय जगदीश हो या
जय अंबे गौरी । लेकिन आपकी पूजा तब तक सफल नही मानी जाती जब तक आरती को नियम से पूरा न किया जाए
अगर आरती नियम विहीन है तो आपकी पूजा स्‍वीकार नही होगी । ऐसा हम नही धर्मश।स्‍त्र कहते है।
हमारे धार्मि्कग्रन्‍थ प्राचीन धार्मिक मान्‍यतानुसार आरती करने के साथ साथ देखने का भी महत्‍व होता हैं। इसे देखने मात्र से ही सब दुख् दूर हो जाता है।
आरती से भगवान की विशेष कृपा  मिलती है। स्‍कंदपुराण् मे  भगवान की आरती के संबंध में कहां गया है कि यदि कोई
व्‍यक्‍ति मंत्र नही जानता हो पूजा की विधि भी नहीं जानता हों । लेकिन भगवान की आरती की जा रही हो और उस पूजन कार्य में श्रध्दा  के साथ
श।मिल होंकर आरती करें तो भगवान उसकी पूजा को पूरी तरह से स्‍वीकार कर लेते है।
                              ़़़़़़़ आरती कैसे करें ़़़़़़़
साध।रणत‚ पांच बत्‍तियो से आरती की जाती है‚ इसे पंचप्रदिप भी कहते है। तीन सात या उससे भी अधिक बत्‍तियोंसे भी आरती की जाती है।
कपूर से भी आरती होती है। कुमकुम‚अगर कपूर् धृत और चन्‍दन‚ शंख घंटा‚ आदि बजाते हुए आरती करनी चाहिए।
आरती उतारते समय सर्वप्रथम भगवान की प्रतिमा के चरणें में उसे चार बार घुमाएश‚ दो बार नाभिदेश में ‚ एक बार
मुखमंडल पर और सात बार समस्‍त अंगों पर घुमाए । यथार्थ मे आरती पूजन के अन्‍त में इष्‍टदेव को दीपक दिख।ने के साथ
ही उनका गुणगान किया जाता है। दीपभक्ति विज्ञान के अनुसार आरती से पहले भगवान को नमस्‍कार करते हुए तीन बार
फूल अर्पित करना चाहिए ।

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