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#यह समय मानवीय संवेदना का है : डॉ देव ब्रत मिश्रा#

#यह समय मानवीय संवेदना का है : डॉ देव ब्रत मिश्रा#

5 Environmental and Human Trends Worth Celebrating This Earth Day ...
जौनपुर।
समाधान न्यूज 365:
नीरज कुमार श्रीवास्तव#
 एशियन बॉयोलोजिकल रिसर्च फाउंडेशन  प्रयागराज, इंडिया ने 51 वा विश्व पृथ्वी दिवस  ज़ूम क्लाउड ऐप के माध्यम से आन लाइन मनाया। उक्त आन लाइन आयोजन की अध्यक्षता प्रोफेसर वी सी श्रीवास्तव ने की। फाउंडेशन के कोशाध्यक्ष  इंजीनियर वीरेंद्र सिंह ने बताया कि कोरोना वैश्विक महामारी से निपटने हेतु संस्था ने प्रधानमंत्री केअर फण्ड में दस हज़ार रुपये दिया।पृथ्वी दिवस के अवसर पर 400 असहाय जनो को भोजन कराया गया। पृथ्वी दिवस के अवसर पर रोहतक से प्राणि विज्ञान की प्रोफेसर विनीता शुक्ला, कोडरमा से डॉ प्रसन्न जीत हाज़रा,जम्मू से डॉ डब्ल्यू के बलवान, जयपुर से डॉ अर्पणा पारेख,कानपुर से डॉ सुनीता आर्या, डॉ संगीता अवस्थी,बलरामपुर से डॉ सद्गुरु प्रकाश, एवम जौनपुर से डॉ देव ब्रत मिश्रा एवम प्रयागराज से सरस्वती पुरस्कार से पुरस्कृत पर्यावरण विद डॉ अशोक कुमार वर्मा ,प्रभाकर सिंह आन लाइन उपस्थित थे।आनलाईन संगोष्ठी में प्रोफेसर विनीता शुक्ल ने  बताया कि वैश्विक महामारी ने पर्यावरण को स्वच्छ कर दिया है,मृत्युदर घट गई है।डॉ ए के वर्मा ने कहा कि इस महामारी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मानव  अन्य जैव प्रजातियों की भांति एक जीव है।स्वयं को प्रकृति का नियंत्रण कर्ता न समझे,मनुष्य सर्वाधिक बुद्धिमान प्राणि है इसलिए उसे सभी जीव धारियों के साथ सह अस्तित्व की भावना से कार्य करना है।डॉ सद्गुरु ने लॉकडौन से उत्पन्न बेरोजगारी पर चिंता व्यक्त किये।कानपुर से डॉ सुनीता आर्या जी ने अपने संबोधन में सर्वे भवन्तु सुखिनः पर अपना विचार प्रस्तुत की।डॉ संगीता अवस्थी  जी ने संतुलित आहार, योग,एवम ध्यान के माध्यम से हमे हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को और अधिक मजबूत करने की इस समय आवश्यकता है
अंत मे डॉ देव ब्रत मिश्रा ने कोरोना की वैश्विक महामारी से निपटने के लिए देश मे उपलब्ध सीमित संशाधनों के सदुपयोग से इस आपदा से निपटना है।इस  वैश्विक आपदा के समय केवल अपने को संरक्षित करने का नहीं अपितु अपनी मानवीय संवेदना को भी बचाना है।निःसंदेह यह समय मानवीय संवेदना का है।एक प्रश्न बार बार जेहन में कौंधता है कि कोरोना के  बाद कि दुनिया कैसी होगी ?निश्चय ही वैश्विक समुदाय का भविष्य हथियारों से सुरक्षित नही है,अपितु हमे प्रकृति के नज़दीक रह कर अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक सुदृढ़ करने की खोज करने की जरूरत है।

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