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जब मौका आया तो पत्रकार की सहायता करना भूल गये राज्यमंत्री

कैंसर के उपचार के लिये पत्रकार को नहीं मिली सरकारी मदद#

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जौनपुर।
समाधान न्यूज 365:
नीरज कुमार श्रीवास्तव#
पत्रकार के लिये कोरा साबित हुआ राज्यमंत्री गिरीश का आश्वासन
जौनपुर (टीटीएन) 12 मई। प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री गिरीश चन्द्र यादव द्वारा लोगों के उपचार के लिये मुख्यमंत्री राहत कोष से दी गयी सरकारी सहायता की जो सूची जारी की गयी है, उसमें शाहगंज के पत्रकार रविशंकर वर्मा का नाम नहीं है जिसके चलते पत्रकारों में काफी निराशा है। पत्रकारों में सरकार और राज्यमंत्री के प्रति काफी आक्रोश है जिनका कहना है कि यदि प्रयास नहीं करना था तो राज्यमंत्री 5 माह से लगातार आश्वासन क्यों दे रहे हैं?
पत्रकारों का काम लोगों को जमाने भर का हाल सुनाना है लेकिन इस दौर में उनका पुरसाहाल लेने वाला शायद ही कोई है। हालात तब और अजीब हो जाते हैं जब पत्रकार समाज के प्रति पूरी ईमानदारी से संकल्पित हो लेकिन सक्षम व्यक्तियों को इसकी कद्र ही न रहे। जनपद में ऐसा ही हो रहा है जहां के राज्यमंत्री गैरजनपद तक के लोगों को मुख्यमंत्री के विवेकाधीन राहत कोष से सहायता दिलवा दिये लेकिन अपने ही जिले के परेशान पत्रकार को तमाम सिफारिशों के बाद भी नजरअंदाज कर दिये। नतीजा.. सरकारी मदद के लिये पत्रकार दर-दर की ठोकर खा रहा है।
खबर है कि राज्यमंत्री गिरीश चन्द्र यादव की संस्तुति पर मुख्यमंत्री विवेकाधीन राहत कोष से दो दर्जन गम्भीर रूप से बीमार लोगों को आर्थिक मदद मिली है जिसमें जनपद के अलावा वाराणसी के निवासी भी शामिल हैं। राज्यमंत्री इसके लिये खुद की पीठ थपथपाते हैं और सबका साथ-सबका विकास के नारे की दुहाई देते हैं लेकिन यह भी सच है कि उनके ही जनपद के एक पत्रकार जो मुंह के कैंसर से जूझ रहा है, को तमाम सिफारिशों के बावजूद राहत पाने के लायक न समझा गया। जानकारी के अनुसार जनपद के वरिष्ठ पत्रकारों ने उन्हें मदद दिलवाने के लिये मुहिम शुरू की थी।
राज्यमंत्री ने आश्वासन भी दिया था कि उनकी फाइल मुख्यमंत्री तक पहुंचा दी गयी है लेकिन उसके बाद से सब ‘वादा तेरा वादा’ ही बनकर रह गया। इस बीच लॉक डाउन का बहाना भी बनाया गया। अब जब खबर आयी कि दो दर्जन लोगों को सरकारी मदद मिली है तो जाहिर हो गया है कि हालात से परेशान पत्रकार को सिर्फ कोरा आश्वासन ही दिया गया था। यह भी साफ हो गया कि शासन-प्रशासन सिर्फ बरगलाने के लिये पत्रकारों को कोरोना योद्धा बताते हैं लेकिन जब उनकी सहायता की बात आती है तो कन्नी काट लेते हैं।
तुर्रा यह भी कि आत्ममुग्ध होकर सबको साथ लेकर चलने की बात करते हैं और ठीक उसी समय लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहे जाने वाली पत्रकार को नजरअंदाज करते हैं। इस बाबत राज्यमंत्री गिरीश चन्द्र यादव के मोबाइल नम्बर पर कॉल किया गया लेकिन संयोग से रिसीव नहीं हो सका जिसके चलते उनसे बात नहीं हो सकी।


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