आयुर्वेद स्वस्थ जीवन का एक मात्र उपाय : डा० अवनीत सोनकर
समाधान न्यूज 365#
मानं च तच्च यत्रोक्तमायुर्वेद: स उच्चत ||
जौनपुर। आयुर्वेद के ग्रन्थ तीन दोषो के असंतुलन को रोग का
कारण मानते है । और समदोष की स्थिति को आरोग्य ।
इसी प्रकार सम्पूर्ण आयुर्वेदिक चिकित्सा के आठ
अंग माने गए है । ये आठ अंग है- कायचिकित्सा, शल्यतन्त्र,
शालक्यतन्त्र, कौमारभृत्य, अगदतन्त्र, भूतविद्दा ,
रसायनतन्त्र और वाजीकरण
आयुर्वैदिक चिकित्सा के लाभ
° आयुर्वेदिक चिकित्सा विधि सर्वांगीण है।
आयुर्वेदिक चिकित्सा के उपरान्त व्यक्ति की शरीरिक तथा मानसिक
दोनो में
सुधार होता है ।
° आयुर्वेदिक औषधियों के अधिकांश घटक जड़ी – बूटीयों
, पौधो, फूलो एंव फलो आदि से प्राप्त की जाती है। अत:
यह
चिकित्सा प्रकृति के निकट है ।
° व्यावहारिक रुप से आयुर्वेदिक औषधियों के कोई दुष्प्रभाव देखने को नहीं
मिलते है।
° अनेको जीर्ण रोगो के लिए आयुर्वेद विशेष रुप से प्रभावी है ।
° आयुर्वेद न केवल रोगों की चिकत्सा करता है बल्कि
रोगो को रोकता भी है ।
° आयुर्वेदिक औषधियाँ स्वस्थ लोगो के लिए भी उपयोगी
है ।
° आयुर्वेदिक चिकित्सा अपेक्षाकृत सस्ती क्योंकि आयुर्वेद चिकत्सा में
सरलता मे उपलब्ध जड़ी- बुटियाँ एवं मसाले काम
में लाये
जाते है ।
आयुर्वेद में स्वस्थ व्यक्ति की परिभाषा इस प्रकार
बताई है-
समदोष: समाग्निश्च समधातु मलक्रिया: |
प्रसन्नात्मेन्द्रियमना: स्वस्थ: इत्यभिधीयते ||
( जिस व्यक्ति के दोष (वात , कफ और पित ) समान हो,
अग्नि सम हो, सात धातुयें भी सम हो, तथा मल भी सम हो ,
शरीर की सभी क्रियाये समान क्रिया करे , इसके
अलावा मन, सभी इंन्द्रियाँ तथा आत्मा प्रसन्न हो, वह मनुष्य स्वस्थ
कहलाता है )
आयुर्वेद (आयु: + वेद ═ आयुर्वेद)
विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है । यह विज्ञान, कला और दर्शन
का मिश्रण है ।
आयुर्वेद भारतीय आयुर्विज्ञान है ।
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