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जीवन जीने की कला सिखाता है सनातन धर्मः डा. मदन मोहन मिश्र


 

समाधान न्यूज 365

जीवन जीने की कला सिखाता है सनातन धर्मः डा. मदन मोहन मिश्र
जौनपुर। पूर्वांचल की आस्था का केंद्र शीतला चौकियां धाम में चल रहे श्री राम कथा के प्रथम दिन वाराणसी से पधारे कथावाचक डा. मदन मोहन मिश्र ने कथा प्रवचन के दौरान कहा कि मानव जीवन के लिये गीता भागवत रामायण कल्याणकारी हैं। यह सभी ग्रंथ हमारे जीवन में सीख व प्रेरणा देते हैं। इस कोरोना काल में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा महामारी से बचने के लिए गाइडलाइन जारी की है। किसी से हाथ न मिलाना, साफ सफाई का पालन करना, हाथ धुलते रहने को बता रहा हैं। हमारे सनातन ग्रंथों में योगा, प्राणायाम करना नित्य कर्म करना आदि का उल्लेख है। भोजन प्रसाद करने से पहले हाथ धोना, साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना, जमीन पर बैठकर शान्ति से भोजन करना आदि बातें हमारे सनातन धर्म में बहुत पहले से ही चली आई हैं। उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति प्रणाम करना सिखाती है। सनातन धर्म ही मानव जीवन जीने की कला सिखाती है। मनुष्य को प्रतिदिन प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठना, नित्य क्रिया करना, सूर्योदय से पहले स्नान करना, सूर्योपासना करना, सुबह-शाम संध्या वंदना, पूजा पाठ करने से ही मनुष्य के जीवन में आयु, बल, बुद्धि, विद्या, सुख, समृद्धि व स्वास्थ्य सनातन प्रेमियों के जीवन में बना रहता है। इसी क्रम में कथा वाचक डा. अखिलेश चंद्र पाठक ने कहा कि भगवान विष्णु महालक्ष्मी से कहते हैं कि हे देवी हो सकता है मैं बैकुंठ में ना मिलू, किसी मन्दिर में ना रहूं, आकाश पाताल में ना मिलू तो समझ लेना मेरा कोई भक्त मुझे अपनी भक्ति में बांध लिया है, जो भक्त मेरा नाम जप करते हैं भजन कीर्तन करते हैं मुझे पुकारते है उस भक्त के मैं अधीन हो जाता हूं। ऐसे ही साधु-संतों व भक्तों के हृदय में रहता हूं। ऐसे ही भक्तों के हृदय में मेरा निवास हो जाता है। इस अवसर पर सुरेंद्र नाथ त्रिपाठी, हनुमान त्रिपाठी, मुकेश श्रीवास्तव, शिवआसरे गिरी, मदन गुप्ता, दीपक राय, सुरेंद्र गिरी, धीश माली आदि उपस्थित रहे।

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