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ब्रह्मज्ञान से ही परिपक्व हो सकता है ईश्वर पर विश्वासः सुदीक्षा जी


 

samadhannews 365 # Niraj Kumar Srivastava

ब्रह्मज्ञान से ही परिपक्व हो सकता है ईश्वर पर विश्वासः सुदीक्षा जी
जौनपुर। ‘किसी काल्पनिक बात पर तब तक विश्वास नहीं होता जब तक हम साक्षात वह चीज नहीं देखते। उसी तरह से प्रभु-परमात्मा ईश्वर पर भी हमारा विश्वास तभी परिपक्व हो सकता है जब ब्रह्मज्ञान द्वारा उसे जाना जाता है। ईश्वर पर दृढ़ विश्वास रखते हुए जब मनुष्य अपनी जीवन यात्रा भक्ति भाव से युक्त होकर व्यतीत करता है तो वह आनंददायक बन जाती है।’ यह जानकारी स्थानीय मीडिया सहायक उदय नारायण जायसवाल ने वर्चुअल रूप में आयोजित तीन दिवसीय 74वें वार्षिक निरंकारी संत समागम के समारोह में सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज के पावन संदेशों को बताते हुए कहा कि सन्त समागम का सीधा प्रसारण मिशन की वेबसाईट तथा साधना टी.वी. चैनल द्वारा हो रहा है जिसका लाभ पूरे विश्व में श्रद्धालु भक्तों एवं प्रभु प्रेमी सज्जनों द्वारा लिया जा रहा है। श्री जायसवाल ने बताया कि सत्गुरू माता ने प्रतिपादन किया कि एक तरफ विश्वास है तो दूसरी तरफ अंधविश्वास की बात भी सामने आती है। श्री जायसवाल ने बताया कि सत्गुरु माता ने आगे कहा कि आस-पास का वातावरण, व्यक्ति अथवा किसी वस्तु से अपने आपको दूर करने का नाम भक्ति नहीं। भक्ति हमें जीवन की वास्तविकता से भागना नहीं सिखाती, अपितु उसी में रहते हुए हर पल व स्वांस में परमात्मा का एहसास करते हुए आनंदित रहने का नाम भक्ति है। समागम में सेवादल रैली का आयोजन हुआ जिसमें देश एवं दूर-देशों से आये सेवादल के भाई-बहनों ने भाग लिया। सेवादल रैली में विभिन्न खेल, शारीरिक व्यायाम, शारीरिक करतब, फिजिकल फॉर्मेशन्स, माइम एक्ट के अतिरिक्त मिशन की सिखलाइयों पर आधारित सेवा की प्रेरणा देने वाले गीत एवं लघुनाटिकायें मर्यादित रूप में प्रस्तुत की गई।

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