क्यों नहीं छापती है मनमाना करेंसी ?

 



सरकारें चाहें तो भी 

क्यों नहीं छापती है मनमाना करेंसी ?


मुद्रा को छापने का अधिकार देश की सरकारों के पास होता है तो कोई भी देश मनमाना मुद्रा प्रिंट करके अपने देश की इकॉनमी को ठीक क्यों नहीं कर पाता हैं।

आइए समझते हैं इस बात को...


मुद्रा को छापने का अधिकार देश की सरकारों के पास होने के बावजूद, मनमाना मुद्रा प्रिंट करके अर्थव्यवस्था को ठीक नहीं किया जा सकता है। इसके कई कारण हैं:


मुद्रास्फीति : 

अधिक मुद्रा छापने से मुद्रास्फीति बढ़ सकती है, जिससे वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें बढ़ जाती हैं और मुद्रा की क्रय शक्ति कम हो जाती है।


मुद्रा का अवमूल्यन: 

अधिक मुद्रा छापने से मुद्रा का मूल्य कम हो सकता है, जिससे आयात महंगा हो जाता है और देश की आर्थिक स्थिति खराब हो सकती है।


आर्थिक अस्थिरता : 

मनमाना मुद्रा प्रिंट करने से आर्थिक अस्थिरता बढ़ सकती है, जिससे निवेशकों का विश्वास कम हो सकता है और आर्थिक विकास प्रभावित हो सकता है।


विश्वास की कमी: 

यदि सरकार मनमाना मुद्रा प्रिंट करती है, तो लोगों का मुद्रा पर से विश्वास कम हो सकता है, जिससे आर्थिक गतिविधियाँ प्रभावित हो सकती हैं।


इसके अलावा, अधिकांश देशों में केंद्रीय बैंक मुद्रा नीति को नियंत्रित करता है और मुद्रा की आपूर्ति को प्रबंधित करता है ताकि अर्थव्यवस्था को स्थिर और स्वस्थ रखा जा सके। केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता और जवाबदेही सुनिश्चित करती है कि मुद्रा नीति का उपयोग आर्थिक विकास और स्थिरता के लिए किया जाए, न कि मनमाने ढंग से।


कुछ देशों ने बीते दिनों में अधिक मुद्रा छापने की कोशिश की है, लेकिन इससे नकारात्मक परिणाम ही प्राप्त हुए हैं, जैसे कि जिम्बाब्वे में हाइपरइन्फ्लेशन। 


इसलिए, अधिकांशतः अर्थशास्त्री और नीति निर्माता इस बात से सहमत हैं कि मुद्रा नीति को सावधानी से प्रबंधित करना और आर्थिक स्थिरता को बनाए रखना आवश्यक है।

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