अनुमान की सार्थकता
"हवाई अनुमान" बनाम "विशेषज्ञ अनुमान"
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मन के किसी वृत्ति में पड़ जाने के बाद उससे बाहर आना कठिन हो जाता है क्योंकि
कहीं से बाहर निकलने के लिए मन को समझ में आना जरूरी है कि उसे वर्तमान वृत्ति से बाहर निकलना चाहिए।
मन की एक खासियत है कि वह उचित अनुचित जान लेने के बाद भी आसानी से किसी अभ्यस्त वृत्ति का त्याग नहीं कर पाता।
और मन की यह स्थिति स्वयं के लिए हमेशा ही पीड़ादायी होगी।
मन को हमेशा प्रसन्न रखने के लिए "हवाई अनुमान" को सत्य मान लेने का भ्रम छोड़ना होगा।
मनोवैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर "हवाई अनुमानों" के सही होने की संभावना मात्र 10 प्रतिशत ही होती है।
जबकि "हवाई अनुमानों" का 90 प्रतिशत हिस्सा ज्यादातर मामलों में आधारहीन होता है।
मनोवैज्ञानिक अनुसंधान से पता चलता है कि लोगों के अनुमान और निर्णय अक्सर आधारहीन और पक्षपातपूर्ण होते हैं।
एक प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक अध्ययन में पाया गया कि लोगों के अनुमान और निर्णय में लगभग 90% हिस्सा आधारहीन और पक्षपातपूर्ण होता है, जबकि केवल 10% हिस्सा वास्तविक जानकारी और तथ्यों पर आधारित होता है।
इसका कारण यह है कि मानव मस्तिष्क अक्सर शॉर्टकट और मानसिक मॉडल का उपयोग करता है जो अनुमान और निर्णय लेने में मदद करते हैं, लेकिन ये शॉर्टकट और मॉडल अक्सर त्रुटिपूर्ण और पक्षपातपूर्ण हो सकते हैं।
कुछ प्रमुख कारण जिनकी वजह से अनुमान और निर्णय आधारहीन हो सकते हैं:
पुष्टिकरण पक्षपात :
लोग अक्सर उन जानकारियों को अधिक महत्व देते हैं जो उनके पूर्वाग्रहों की पुष्टि करती हैं।
उपलब्धता पक्षपात :
लोग अक्सर उन जानकारियों को अधिक महत्व देते हैं जो आसानी से उपलब्ध होती हैं।
आधार दर की उपेक्षा :
अक्सर आधार दर या सांख्यिकीय जानकारी को नजरअंदाज कर दिया जाता है।
इन पक्षपातों को समझने और उनसे बचने के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि अनुमान और निर्णय लेने की प्रक्रिया में अधिक जागरूकता रखी जाय।
परन्तु अनुमान के सत्य होने का एक दूसरा पहलू भी है जिसे जानना चाहिए।
मनोवैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर अनुमान की सच्चाई कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि अनुमान लगाने वाले की विशेषज्ञता, उपलब्ध जानकारी की गुणवत्ता, और अनुमान की जटिलता।
आम तौर पर, मनोवैज्ञानिक अनुमानों की सच्चाई 50% से 80% तक हो सकती है, लेकिन यह अनुमान की विशिष्ट परिस्थितियों और उपयोग की जाने वाली विधियों पर निर्भर करता है।
कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि:
विशेषज्ञ अनुमान :
विशेषज्ञों द्वारा किए गए अनुमान अधिक तथ्यात्मक हो सकते हैं, जिनकी सार्थकता दर 60% से 80% तक हो सकती है।
सांख्यिकीय मॉडल:
सांख्यिकीय मॉडल का उपयोग करके किए गए अनुमान अधिक सटीक हो सकते हैं, जिनकी सार्थकता दर 70% से 90% तक हो सकती है।
अनुभव और ज्ञान :
अनुभव और ज्ञान के आधार पर किए गए अनुमान अधिक सटीक हो सकते हैं, जिनकी सार्थकता दर 60% से 80% तक हो सकती है।
यहां यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अनुमान के सत्य होने की निश्चितता कई कारकों पर निर्भर करती है, और अनुमान की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए निरंतर प्रयास और मूल्यांकन आवश्यक है।
उम्मीद है आप अनुमान की प्रासंगिकता को समझ पाए होंगे।
अनंत शुभकामनाएं🙏🌷
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