जब उपलब्ध डेटा ही सही नहीं होगा तो
जब AI, Meta, Goole, chat gpt के माध्यम से प्रकाशित सरकारी डेटा, जब बुनियादी तौर पर सही जारी नहीं कि जाएगी तो इन प्लेटफार्मो से सही जानकारी कैसे प्राप्त हो पाएगी।
सरकारी वास्तविक डेटा का सामान्य प्रयासों से मिल पाना संभव नहीं हो होता है और वास्तविक डेटा को जानने की प्रक्रिया टेढ़ी है कि आम इंसान अपने जिंदगी की झंझावतों को छोड़कर, इन जंजालों में उलझना नहीं चाहता। अतः इंसान आसानी से उपलब्ध, उन तथ्यों तक ही पहुंचता है जिसे देखकर या जानकर, किसी भी स्थिति के बारे में सही सही कहना एक गलत परिणाम को सामने रखने जैसा ही है। जो जमीनी डेटा के अनुसार सही है ही नहीं।
आज ज्ञान की सत्यता को मापने के प्रचलित स्केल गूगल, AI, मेटा आदि पर सरकारों के कार्यों से संबंधित डेटा ही manipulated है। इस जानकारी के आधार पर सरकारी आंकड़ों के जमीनी सत्य को तो नहीं जाना जा सकता है।
ज्ञान का प्रचलित संसाधन ही सही नहीं होगा।
और पढ़े लिखे या पढ़ाये गए से ज्यादा पढ़ने का विकल्प आसानी से उपलब्ध न होने का कारण आम जनता लिखे या दिखाए गए के आगे जान ही नहीं पाती, ऐसे में ज्ञान बस ऑनलाइन उपलब्ध डेटा के दायरों में ही गोते लगाता हुआ खुश है कि उसे सब पता है।
घटी हुई GST पर राय नहीं मांगी जा रही है, अपितु सीधा प्रचार कराया जा रहा है कि घटाई_गई _#GST_दरें महंगाई से निजात पाने की रामबाण व्यवस्था है।
GST घटाने से जिसके लिए महंगाई कम हुई है उस वर्ग के लिए तो महंगाई कम न भी होती तो भी कोई खास फर्क न पड़ता।
कुछ करना है तो lower middle class और below poverty line के लिए होना चाहिए।
जरूरत है !
*मुद्रा के विकेंद्रीकरण की,
*पर कैपिटा इनकम इन्क्रीमेंट की
*आय असमानता को कम करने की
*जब तक लोअर क्लास, लोअर middle क्लास की पर्चेजिंग कैपेसिटी नहीं बढ़ेगी।
तब तक महंगाई कम होने का फायदा उनको नहीं मिल पाएगा जिनको मिलना चाहिए।
इस तरह से GST कम करने से कम होने वाली महंगाई का फायदा उन्हीं को मिलेगा जिनके लिए महंगाई कोई बहुत बड़ा issue नहीं था।
जिनकी जेबें पहले से खाली हैं उनकी जेबों में पैसा चाहिए।
जीएसटी घटाने से मुख्य रूप से मध्यम और उच्च वर्ग के लोगों को लाभ हो सकता है, जिनकी क्रय शक्ति पहले से ही अधिक है। लेकिन निम्न मध्यम वर्ग और गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के लिए जीएसटी घटाने का लाभ सीमित हो सकता है, क्योंकि उनकी क्रय शक्ति कम होती है और वे पहले से ही आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं।
आय असमानता को कम करने के लिए:
मुद्रा का विकेंद्रीकरण
सरकार को मुद्रा के विकेंद्रीकरण पर ध्यान देना चाहिए, जिससे अधिक लोगों को आर्थिक अवसर मिल सकें।
प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि
सरकार को प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि करने के लिए नीतियां बनानी चाहिए, जिससे लोगों की क्रय शक्ति बढ़ सके।
लक्ष्यित आर्थिक योजनाएं
सरकार को लक्ष्यित आर्थिक योजनाएं बनानी चाहिए जो निम्न मध्यम वर्ग और गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में मदद करें।
निष्कर्ष:
जीएसटी घटाने से कुछ लोगों को लाभ हो सकता है, लेकिन आय असमानता को कम करने और निम्न मध्यम वर्ग और गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाने के लिए अधिक व्यापक और लक्ष्यित आर्थिक नीतियों की आवश्यकता है।
अब उक्त के बारे नेट खंगालने की कोशिश में
वही डेटा दिखेगा जिसे दिखाया जाना पूर्व निर्धारित है।
आज के युग मे जब देश के चौथे स्तंभ को ही कठपुतली बनने पर मजबूर होना पड़ा है तो कोई सामान्य व्यक्ति क्या ही कर सकता है।
#nikikase ।। 6th sep/2025 ।। 12:57 ।। 02 ।।
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