भविष्य को देख पाना

 भविष्य को देख पाना जागृत अंतरदृष्टि का विश्लेषणात्मक गणितीय योग है। जिसे ब्रम्ह सत्य की वास्तविक गणना के अनुसार भविष्य में घटित होने वाली घटना की घोषणा आज ही कि जा सकती है।

आवश्यकता है वर्तमान को भविष्य के ब्रम्ह सत्य से जोड़ पाने की मनःसिद्धि की।

अर्थात भविष्य को देख पाना जागृत अंतरदृष्टि का विश्लेषणात्मक गणितीय योग है, जिसे ब्रह्म सत्य की वास्तविक गणना के अनुसार भविष्य में घटित होने वाली घटना की घोषणा आज ही की जा सकती है।

यह एक गहन और दार्शनिक विषय है। आइए इसे समझने की कोशिश करते हैं:

जागृत अंतरदृष्टि और विश्लेषणात्मक गणितीय योग


जागृत अंतरदृष्टि की अवधारणा से तात्पर्य है कि व्यक्ति अपनी चेतना और ज्ञान के माध्यम से भविष्य की घटनाओं को समझने और पूर्वानुमान लगाने की क्षमता रखता है। विश्लेषणात्मक गणितीय योग का अर्थ है कि इस प्रक्रिया में गणितीय और तर्कसंगत विश्लेषण का उपयोग किया जाता है।


ब्रह्म सत्य (इसके उसके सत्य से अलग प्राकृतिक सत्य)और भविष्य की गणना


ब्रह्म सत्य की अवधारणा से तात्पर्य है कि यह एक सर्वव्यापी और शाश्वत सत्य है जो पूरे ब्रह्मांड को नियंत्रित करता है। यदि हम इस सत्य को समझने और इसके साथ जुड़ने में सक्षम होते हैं, तो हम भविष्य की घटनाओं का पूर्वानुमान लगा सकते हैं।

वर्तमान को भविष्य के ब्रह्म सत्य से जोड़ना

वर्तमान को भविष्य के ब्रह्म सत्य से जोड़ने के लिए मनःसिद्धि की आवश्यकता होती है, जिसका अर्थ है कि व्यक्ति को अपनी चेतना और ज्ञान को विकसित करना होता है ताकि वह इस सत्य को समझ सके और इसके साथ जुड़ सके।

निष्कर्षतः

भविष्य को देख पाना और इसके बारे में घोषणा करना यद्यपि एक जटिल और गहन विषय है, जिसमें जागृत अंतरदृष्टि, विश्लेषणात्मक गणितीय योग  और ब्रह्म सत्य की समझ की आवश्यकता होती है।


#nikikase ।। 01 ।। 6th sep /2025

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