भारतीय राजनीति के पुरोधा राजा यादवेन्द्र दत की पुण्यतिथि पर विशेष""-प्रोफेसर अखिलेश्वर शुक्ला।
राजा यादवेन्द्र दत दुबे का जन्म बिक्रमी संवत्-1975के मार्गशीर्ष अगहन मास के शुक्लपक्ष चतुर्थी (07-दिसम्बर-1918) को जौनपुर राजमहल में हुआ था। तब जौनपुर रियासत के 10वें नरेश पिता राजा श्री कृष्ण दत्त ने महिने भर गरिबों में सदाब्रत बंटवाया था।
पिता राजा श्री कृष्ण दत्त जी के शरीर त्याग -24-02-1945 के पश्चात माञ 27 वर्ष की अवस्था में राजसी पारम्परिक रीति- रिवाज एवं वैदिक विधि - विधान से आपका राज्याभिषेक हुआ था।
आप बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि, एवं पैतृक राजनीतिक पृष्ठभूमि से थे। यही कारण था कि-दि०- 27-09-1925-(विजयदशमी)को स्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार-प्रसार के लिए नागपुर से नानाजी देशमुख को जौनपुर भेजा गया। नाना जी देशमुख को मिलने में काफी समय और संकोच का सामना करना पड़ा था। लेकिन कामयाब रहे। यही नहीं जनसंघ की स्थापना -21-10-1951 के पूर्व जौनपुर के राजमहल में राष्ट्रीय स्तर के व्यक्तित्व एवं नेतृत्व का जमावड़ा लगने लगा था। राजा साहब की पुञी पद्मा दीदी (आस्ट्रेलिया) का कहना कि -देर रात तक राजमहल में बैठकों का दौर चलता रहता था। जिसका परिणाम हुआ कि भारतीय जनसंघ के स्थापना की घोषणा डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा दिल्ली में की गई। जिसका चुनाव निशान दीपक था।
फिर तो राजा साहब का सक्रिय राजनीति का सफर शुरू हुआ। प्रथम आम चुनाव में स्टार प्रचारक, द्वितीय आमचुनाव में सदर विधानसभा जौनपुर से विधायक, तृतीय विधानसभा चुनाव 1962 में कांग्रेस के धाकड़ नेता उत्तर प्रदेश के गृहमंत्री के विरुद्ध राजा साहब के चुनाव का कवरेज करने आए बीबीसी लंदन की टीम ने नामांकन की चर्चा करते हुए कहा था कि - राजा साहब की हवेली से कलेक्ट्रेट तक की भीड़ को देखकर ऐसा लगता है कि पुरी जौनपुर की जनता सड़कों पर है। रैली में तील रखने भर की जगह नहीं है। कांग्रेसी गृहमंत्री को हराने के बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाए गए थे। इसके बाद तो अगले चुनाव में बीबीसी ने तो यहां तक कहा कि राजा यादवेन्द्र दत और डॉ राममनोहर लोहिया के विरुद्ध लड़ने के लिए कोई कांग्रेसी प्रत्याशी तैयार नहीं हो रहे हैं। जबकि पुरा भारत कांग्रेसमय था।
प्रोफेसर अखिलेश्वर शुक्ला बताते हैं- इस प्रकार राजा साहब तीन बार विधायक तथा दो बार सांसद रहे।
राजा साहब राजनीति के साथ साथ एक कुशल शिकारी , हिन्दी , अंग्रेजी , संस्कृत के साथ ही विज्ञान एवं ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाता थे। आपकी आठ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । जिसमें दो पुरस्कृत भी हैं ।
ऐसे महान विभूति की हवेली में तात्कालिक दिग्गजों में आर एस एस के सर संघचालक गुरुजी माधवराव सदाशिव गोलवलकर,भाऊराव देवरस, वेणुगोपालन, नानाजी देशमुख,पं दीनदयाल उपाध्याय, भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई,मुरली मनोहर जोशी,कलराज मिश्र सहित अनेकों गणमान्यजनों का आना जाना लगा रहता था। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे राम मंदिर के नायक माननीय कल्याण सिंह राज साहब जौनपुर के निजी सचिव भी रहे थे। प्रोफेसर शुक्ला बताते हैं कि अपने राजसी स्वभाव को कायम रखते हुए उन्होंने कभी भी सरकारी साधनों का लाभ नहीं लिया। बल्कि अपनी सम्पत्ति का एक बहुत बड़ा हिस्सा जनसंघ के चुनाव और राजनीतिक प्रचार प्रसार में ब्यय किया। अपनी गाड़ी पर सदैव जौनपुर रियासत का झंडा ही लगाते रहे।
अपने राजसी स्वभाव एवं लालन पालन के बावजूद तीन बार जेल जाना पड़ा। जिसमें नाथूराम गोडसे द्वारा गांधी जी की हत्या में जिस गाड़ी एवं असलहे का इस्तेमाल किया गया था - उसे राजा जौनपुर द्वारा प्रदत्त बताकर 60 दिनों तक कठोर कारावास में रखा गया। तात्कालिक सेवादार का यह कहना कि राजा साहब के पीड़ा को देखकर हमलोगों के आंख में आसू आ जाता था। जबकि बेकसूर सिद्ध होकर मुक्त हुए। राममंदिर आंदोलन और आपातकाल में भी जेल जाना पड़ा था। राजा साहब जौनपुर यादवेन्द्र दत दुबे जी ने संघ-जनसंघ एवं भाजपा के लिए जो कुछ भी किया वर्तमान केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार उसी त्याग तपस्या एवं बलिदान का परिणाम है।
उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि क्या हो सकती है - यह निर्णय तो राज्य एवं केन्द्र सरकार के लिए स्वत: विचारणीय विषय है।
हम सभी जौनपुर जनपद वासियों को उनके गौरवशाली व्यक्तित्व व कृतित्व से गर्व महसूस होता है।
🌹 सादर नमन, श्रद्धांजलि 🙏
जय हिन्द जय भारत 💐
प्रोफेसर अखिलेश्वर शुक्ला, पूर्व प्राचार्य / विभागाध्यक्ष राजनीति विज्ञान, राज पीजी कॉलेज - जौनपुर -उतर प्रदेश।



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