किस प्रकार की है ये कवायद रुपये के मूल्य को बढ़ाए जाने की , कितना कारगर होगा ये कदम
सितंबर माह में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में रुपये की स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (CCIL) से रुपये के व्यापार और निपटान के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा तैयार करने को कहा है, जिससे रुपये की अहमियत बढ़ सके और डॉलर की निर्भरता कम हो।
*डी-डॉलराइजेशन की प्रक्रिया*
इस पहल का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर की जगह रुपये को मजबूत करना है। इससे भारत की स्ट्रैटिजिक ऑटोनमी को बढ़ावा मिलेगा और वैश्विक बाजार में रुपये की धमक बढ़ेगी। RBI गवर्नर के इस फैसले से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप परेशान हो सकते हैं, क्योंकि यह उनके हितों के विपरीत है।
*रुपये की अंतरराष्ट्रीयकरण*
RBI गवर्नर ने CCIL से फॉरेक्स रिटेल और सरकारी प्रतिभूतियों के मोर्चे पर खुदरा निवेशकों पर केंद्रित अपने ऑफर्स बढ़ाने को भी कहा है। इससे ग्राहकों को सहज अनुभव और मजबूत प्रणाली क्षमताएं सुनिश्चित होंगी।
*क्या है इसका मतलब?*
इस पहल से भारत को कई लाभ हो सकते हैं:
- अंतरराष्ट्रीय व्यापार में रुपये की अहमियत बढ़ेगी
- डॉलर की निर्भरता कम होगी
- स्ट्रैटिजिक ऑटोनमी को बढ़ावा मिलेगा
- वैश्विक बाजार में रुपये की धमक बढ़ेगी
अब देखना यह है कि RBI की इस पहल का कितना असर पड़ता है और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं।


Comments
Post a Comment