जौनपुर के कवियों ने बनाया अखिल भारतीय काव्य मंच
# जौनपुर के कवियों ने बनाया अखिल भारतीय काव्य मंच
गोष्ठी आयोजित, शायरों व कवियों ने बनाया अविस्मरणीय
जौनपुर। अखिल भारतीय काव्य मंच के तत्वावधान में गोष्ठी का आयोजन हुआ। नगर के रूहट्टा में आयोजित गोष्ठी की शुरूआत मां सरस्वती की वंदना एवं नात पाठ से हुआ। तत्पश्चात् उपस्थित तमाम कवियों व शायरों ने अपने काव्य पाठ से गोष्ठी को अविस्मरणीय बना दिया। वरिष्ठ कवि/शायर डा. पीसी विश्वकर्मा ने मुख्य अतिथि ‘यह कौन सा सफर था जो पूरा न हो सका, पहुंचे हैं सिर्फ कब्र तलक उम्र भर चले’ पेश जिसे लोगों ने खूब सराहा। वरिष्ठ रचनाकार ओम प्रकाश मिश्र की रचना ‘खला थी कहकशां थी और क्या था। अगर रफ्तार जां थी और क्या था’ प्रस्तुत किया तो अशोक मिश्र की ‘जो लुच्चा है लफंगा है मदारी है जुआरी है, हिरनियां क्या करे कि पहरे पर शिकारी है’ ने लोगों को गुदगुदाया। सुशील दुबे ने ‘ओ मेरे जीवन के मीत रे, जीवन की है अपनी रीत रे’ और आरपी सोनकर ने ‘किस्से कहानियां तो सुनाने से बाज आ, शबनम से प्यास मेरी बुझाने से बाज आ’ और फूलचंद भारती ने ‘जीवन ज्योत जलाते रहिए’ पर खूब वाहवाही लूटी। कारी जिया जौनपुरी ने ‘खिदमत-ए-खल्क जिनका सेवा है, उन पे कुर्बान दिल जिगर अपना’ और अमृत प्रकाश ने ‘दफ्तरी है मगर बनकर साहब रहता है। वह किवाड़े खोलकर अब गायब रहता है’, आशुतोष पाल आशु ने ‘नफरतों के अंधेरे मिटा दीजिए, इक चिराग ए मोहब्बत जला दीजिए’ को लोगों ने काफी पसंद किया। नन्द लाल समीर को ‘बदरा देखत दिन, रोवत रोवत रात गइल, रूठ हमसे जाने क्यों बरसात गइल’ को काफी शाबाशी मिली। आजमगढ़ से पधारे अखिल भारतीय काव्य मंच के नवनियुक्त जिलाध्यक्ष संजय पाण्डेय ने मां सरस्वती का वन्दन गीत गाया और शायर मोनिस जौनपुरी ने तरन्नुम के साथ नात का पाठ किया तो एक अलग तरह का समा बंध गया। काव्य पाठ करने वालों में अंसार जौनपुरी, डा. धीरेन्द्र पटेल, आशिक जौनपुरी, राजेश पाण्डेय एडवोकेट आदि का नाम उल्लेखनीय रहा। वरिष्ठ कवियत्री गीता श्रीवास्तव की अध्यक्षता में आयोजित गोष्ठी का संचालन गिरीश कुमार गिरीश ने किया। अन्त में अखिल भारतीय काव्य मंच के अध्यक्ष असीम मछलीशहरी एवं संस्थापक डा. प्रमोद वाचस्पति ने समस्त आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया।
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