इतिहास समेटी हुई है गोपीपुर की रामलीला
# इतिहास समेटी हुई है गोपीपुर की रामलीला
जौनपुर। जनपद के सिरकोनी क्षेत्र के गोपीपुर गांव की ऐतिहासिक बुढ़वा बाबा रामलीला 173 साल पुरानी है। इस रामलीला के समस्त किरदार गांव के लोग ही निभाते हैं। वहीं जो बाहर नौकरी आदि करते हैं, वह रामलीला का किरदार अदा करने के लिये समय पर उपस्थित हो जाते हैं। रामलीला समिति के प्रबंधक रविन्द्र बहादुर सिंह एवं अध्यक्ष धीरज सिंह ने बताया कि सन् 1844 में गांव में भारी सूखा पड़ा था। लोग खेती को लेकर बहुत चिंतित थे। उसी गांव के दक्षिण दिशा में हनुमान जी के मंदिर पर एक महात्मा रघुनाथ दास उर्फ बुढ़वा बाबा के पास गांव के लोग गये। उन्होंने कहा कि आप सभी लोग यदि रामजी के चरित्र की लीला करें तो संभव है कि वर्षा होगी। महात्मा की बात को लोगों ने मानकर रामलीला करने का निश्चय किया। धूमधाम से लोगों ने दशमी मनायी। फिर क्या था। दूसरे दिन एक छोटा सा बादल ऐसा बरसा कि सारा इलाका जलमग्न हो गया। तभी से लोग रामलीला का आयोजन करते चले आ रहे हैं। पहले यह रामलीला कई स्थानों पर बगीचे में होती थी जो 83 वर्षों तक चली। 1927 में अस्थायी मंच पर रामलीला शुरू हुई जो आज तक चली आ रही है। हनुमान का अभिनय करने वाले लखनऊ रेलवे में इंसपेक्टर पद पर तैनात बिरजू सिंह व अंगद का सीआरपीएफ में तैनात पंकज सिंह रामलीला के समय विभाग से छुट्टी लेकर गांव चले आते हैं और रामलीला का मंचन करते हैं। इससे गांव में आपसी भाईचारा, सुख व शान्ति बनी हुई है। रामलीला में मंच संचालन कामरेड जय प्रकाश सिंह पिछले 30 वर्षों से कर रहे हैं। इसके संरक्षक छोटे लाल सिंह, मनोज सिंह, फौजदार सिंह, शिव शंकर सिंह, मिथलेश सिंह, बच्चा सिंह हैं। डायरेक्टर संतोष सिंह व सूर्यभान सिंह ने बताया कि इस वर्ष रामलीला का मंचन 13 अक्टूबर को होगा।
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