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सभ्यता-संस्कृति भुलाते जा रहे, जिन्दगी से संस्कारों को मिटाते जा रहे...

# सभ्यता-संस्कृति भुलाते जा रहे, जिन्दगी से संस्कारों को मिटाते जा रहे...
जौनपुर। अखिल भारतीय काव्य मंच के बैनर तले काव्य गोष्ठी का आयोजन सोमवार को कलेक्ट्रेट गेट के सामने स्थित एक स्कूल में मां सरस्वती वन्दना के साथ प्रारम्भ हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्वांचल विश्वविद्यालय के पूर्व डीन डा. पीसी विश्वकर्मा ने किया जहां मुख्य अतिथि डा. धीरेन्द्र पटेल व विशिष्ट अतिथि डा. अजय विक्रम सिंह उपस्थित रहे। इस मौके पर कवि गिरीश कुमार गिरीश की पंक्ति ‘है बहुत गम्भीर मसला इस सदी के सामने’ ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया। कवि राजेश पाण्डेय के गीत ‘काहे जिया घबराये ना जाय अंगना’ ने सबको मंत्र-मुग्ध कर दिया। अंसार जौनपुरी की गजल ‘जुल्म की हद से गुजर जाते हो तो गुजर जाओ मगर, क्या बचेगा गर यही मंजर जो उल्टा हो गया’ को लोगों ने बहुत पसंद किया। अमृत प्रकाश की गजल ‘जब खो दिया तुमको तो जाना ये जिंदगी कितनी खारी है’ और आशुतोष पाल की गजल ‘है फिजा में आग फैली सारी दुनिया जल रही’ ने खूब तालियां बटोरी। मोनिस जौनपुरी ने जब अपनी गजल को तरन्नुम से पढ़ा तो सब लो लोग झूम उठे। कवियत्री डा. सीमा सिंह की पंक्ति ‘कुछ अदा प्यार की निभा देते, जरा जरा सा मुस्कुरा देते’, नन्दलाल समीर, अंगद राही सहित अन्य ने भी काव्य पाठ किया। इस दौरान कामरेड विजय प्रताप सिंह एडवोकेट, संजय उपाध्याय, सुभाष सिंह, राममूर्ति, रवि श्रीवास्तव सहित तमाम लोगों ने अपना विचार व्यक्त किया। तत्पश्चात् महामंत्री फूलचन्द भारती ने मंचासीन अतिथियों सहित उपस्थित कवियों/शायरों को माल्यार्पण करके सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन अखिल भारतीय काव्य मंच के संस्थापक डा. प्रमोद वाचस्पति ने किया। अन्त में मंच के अध्यक्ष असीम मछलीशहरी ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।

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