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।।#फेंकी #गयी #डायरी।।

।।#फेंकी #गयी #डायरी।।


लेखक : पारितोष सिंह
प्रबन्ध निदेशक – एस बी सिंह स्पोर्ट्स एकेडमी 

मैं  गीतकार समीर का इंटरव्यू सुन रहा था।उनका नाम गिनीज़ बुक में सबसे ज़्यादा गीत लिखने के लिए लिखा गया।
वे फ़िल्म गीतकार अनजान के बेटे हैं।
ये लोग बनारस के एक छोटे से गाँव से है ..

अनजान का जीवन और कैरियर बेहद संघर्षों भरा रहा फ़िल्म इंडस्ट्री में।
इसलिए अनजान ने कभी नहीं चाहा कि उनका बेटा इस काम में हाथ भी आजमाए।
लेकिन समीर के कुलबुलाते जीन्स उन्हें बैंक की स्थिर नौकरी छोड़ कर मुम्बई ले ही गए।
और आखिर पिता ही सही थे,दस वर्षों तक समीर का अपमान भरा संघर्ष चला।
एक  प्रसिद्ध संगीतकार ने तो उनकी 150 गीतों की डायरी दसवें माले पर उनके ऑफिस से फेंक दी और कहा क्यों अपने बाप का नाम ख़राब करवाने आये हो।
तुम बहुत ही बुरा लिखते हो।
समीर अपमान के घूँट पिए उतरे थे,अपनी डायरी ढूंढ कर उठाई,पन्ने ठीक किये,और सोचा एक आखिरी कोशिश और कर लेता हूँ।  बस पकड़ कर उषा खन्ना के पास चले गए।उषा जी को उनकी रचनाएँ बहुत पसंद आईं और उन्हें पहला ब्रेक मिला।
वो तो समीर आज स्थापित हैं इसलिए हमें ये कहानी पता चली,न जाने कितने समीर टूट कर रोज़ बिखरते होंगे डायरी के पन्नों की तरह।और जीते होंगे फेंकी गयी डायरी का जीवन।

कभी कभी तो  जीते जी कोई उषा खन्ना  मिलीं ही नहीं और पहचान मृत्यु के बाद तक मिली।
तुलसीदास रामायण (रामचरित मानस)हिंदुओं का महान धर्मग्रन्थ जो कि लगभग हर घर में लिखे जाने के इतने वर्षों बाद भी मिल जाएगा।।
धर्म ग्रन्थ के अलावा भी विशुद्ध साहित्यिक दृष्टि से भी ये विलक्षण है,लेकिन इसे भी उस वक़्त संस्कृत में लिखे बाल्मिकी रामायण के होते दरकिनार कर दिया गया,यहाँ तक कि उनका विरोध भी हुआ।तुलसीदास निराश हो कर इस हाथ से लिखे अप्रकाशित बेहद मोटे ग्रन्थ को एक राजा के पास जमा कर जंगल चले गए थे।इस महान कृति को पहचान और सम्मान, लिखे जाने के वर्षों बाद मिल पाया ।

मेंडल एक पादरी,ने अपने गार्डन में खिले फूलों और मटर के पौधों को ध्यान से देखना शुरू किया तो चकित रह गए और एक किताब आनुवंशिक पैटर्न पर लिखी।
लेकिन वो पादरी ने लिखी थी किताब किसी ऑक्सफ़ोर्ड के वैज्ञानिक ने नहीं तो वैज्ञानिकों ने उसकी भी हंसी उड़ाई और दरकिनार कर दिया।
मेंडल की मृत्यु के सौ वर्ष बाद उन्हें आनुवांशिकी का जनक माना गया।

अमिताभ बच्चन को उनकी भारी आवाज़ की वज़ह से रेडियो में तक जगह नहीं मिली थी।

कितने ही युवा प्रतिभाशाली वकीलों को वरिष्ठ वकील मौका ही नहीं देते।

कितने ही युवा प्रतिभाशाली न्यूज़ anchors को दरकिनार किया जाता है वरिष्ठ कम प्रतिभाशाली संपादकों और सीनियर पत्रकारों द्वारा।

कितने ही बुद्धिमान और अच्छे चिकित्सकों को सेटअप ही नहीं  मिल पाते।

कितने ही युवा ,कर्मठ,ईमानदार,अच्छे वक्ता होते  हुए भी  राजनीति में ऊपर नहीं आने दिए जाते।

हर क्षेत्र में स्थापित लोग आपको दरकिनार करते रहेंगे।लेकिन कहीं किसी समीर को उषा खन्ना भी मिलेंगी।

तब तक ये सुनिश्चित कीजिये कि जिस काम में आपको मज़ा आता है,जिसमें आप खुद को और दूसरों को कुछ दे सकते हैं ,करते रहेंगे पूरी शिद्दत से। कुछ मिले या न मिले।


लेकिन यदि स्थापित हो जाएँ तो उषा खन्ना बनें, डायरी फेंकने वाला प्रसिद्द संगीतकार नहीं।
                                            

                                                                                         

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