Breaking News

प्रो. शैली के निर्देशन में कोरोना की दवा बनाने पर हो रही शोध

# प्रो. शैली के निर्देशन में कोरोना की दवा बनाने पर हो रही शोध
जौनपुर की बेटी वेदिता रिसर्च स्कालर भी सहयोग में जुटी
जौनपुर। कोरोना वायरस जहां वैश्विक महामारी बन गया है, वहीं पूरा विश्व इसकी दवा, टीका आदि बनाने की शोध में जुटा है। ऐसे में प्रो. शैली तोमर आईआईटी रूड़की की आणविक वायरोलॉजी प्रयोगशाला प्रौद्योगिकी विभाग के प्रोफेसर की लैब कोरोना वायरस की दवा बनाने की शोध में लगी हुई हैं। इसी लैब में जौनपुर की बेटी वेदिता आनन्द सिंह जो रिसर्च स्कालर है तथा अभी हाल ही में अमेरिका, इंडियाना पर्ड्यू यूनिवर्सिटी में रिसर्च के काम में जुटी है, भी इस जंग में अपना सहयोग दे रही है। बता दें कि वेदिता आनन्द सिंह के पिता स्व. अजित सिंह चक्के डिग्री कालेज प्रोफेसर रहे एवं मां उषा सिंह टीडी कालेज में स्टाफ हैं। प्रो. शैली तोमर ने बताया कि यूएस एफडीए एजेंसी जो ड्रग केमिकल स्ट्रक्चर जारी किये हैं, उन केमिकल स्ट्रक्चर का मिलान कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग द्वारा कोरोना वायरस प्रोटीन स्ट्रक्चर से मिलान किया गया है। कुछ स्ट्रक्चर बहुत ही सटीक मिलान हुये हैं। इन केमिकल को अब पहले वायरस और एनिमल्स पर प्रयोग किया जाना है। ड्रग केमिकल जो वायरस का नाश करेगा, को मानव पर ट्राई करके इसका प्रभाव देखा जायेगा। सब एक्सपेरिमेंट करने के बाद ही दवा उपयोग में आ सकती है। उन्होंने बताया कि इस वायरस से संक्रमित लोगों के लक्षण व संक्रमण लगभग मौसमी फ्लू जैसा होता है जिसमें बुखार, सूखी खांसी, सांस लेने में कठिनाई शामिल है। किसी के संक्रमित होने के बाद लक्षण दिखने में 14 दिन तक लग सकते हैं। अस्वस्थ स्थिति वाले लोग (जैसे अस्थमा, मधुमेह, फेफड़े रोग या हृदय रोग) अथवा बुजुर्ग कोरोना वायरस के संक्रमण से होने वाली बीमारी से गम्भीर स्थिति में जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि उनकी आणविक वायरोलॉजी प्रयोगशाला, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की बीते फरवरी माह से उपचार ढूढ़ने में काम कर रहे हैं। उनकी रिसर्च टीम ने कुछ एफडीए-अनुमोदित अणुओं की पहचान भी की है जो कोरोना वायरस को रोक सकती है। इन अणुओं की पहचान कम्प्यूटर आधारित प्रोग्राम से मैचिंग करायी गयी है। इससे सम्बन्धित दो रिसर्च पेपर प्री प्रिण्ट हुये है जो उपलब्ध हैं। इसका काम है अपने सम्बन्धित एण्टी वायरल लक्ष्यों को बांधना, प्रभावी ढंग से रोकना और इस प्रकार संयम करना। इन सम्भावितों को खोजने के लिये अन्तरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ सहयोग का परीक्षण किया जा रहा है। बचाव के लिये क्या करें और क्या न करें पर उन्होंने बताया कि संक्रमण से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप इसके सम्पर्क से बचें। पूरी दुनिया में लोगों को घर पर रहने और व्यक्तिगत स्वच्छता बनाये रखने की सलाह दी गयी है। योग भी इससे निपटने में मदद कर सकता है। साबुन से नियमित रूप से हाथ धोयें या सैनिटाइजर का उपयोग करते रहें। चेहरे और नाक को छूने से बचें। अक्सर छुये जाने वाले सतहों जैसे दरवाजे का हैण्डल आदि की सफाई करते रहें।
यदि आपको कोरोना का संक्रमण हो गया हो या लक्षण लग रहे हो तो ऐसा होने पर वायरस को फैलाने से बचें। आत्म-पृथकता का पालन करें। डाक्टर की मदद लें। अधिक से अधिक पानी पियें और विश्राम करें। यदि आपके घर या आस-पास किसी को संक्रमण हो जाय तो जिनको हुआ है, उनके साथ इंसानियत का व्यवहार करें। घर वाले उनको अलग कमरे में रखें और उनका ख्याल रखें तथा उनके कपड़ों, बर्तन आदि को अलग रखें।

No comments