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किसानों को दी जानकारी गयी रामवाण

 

जौनपुर । 

समाधान न्यूज 365: 

नीरज कुमार श्रीवास्तव# 

किसानों को दी जानकारी गयी रामवाण 

जौनपुर। जिला कृषि रक्षा अधिकारी राजेश राय ने किसानों को सलाह दिया कि वे खरीफ फसलों में लगने वाले कीटों/रोगों से बचाव हेतु अपने खेत की सतत् निगरानी करते हुये फसल में निम्नानुसार लक्षण दिखाई देने पर दिये गये विवरण के अनुसार बचाव कार्य करें। अरहर/धान का पत्ती लपेटक पीले रंग की सूड़ियॉ पौधे की चोटी की पत्तियों को लपेटकर सफेद जाला बना लेती हैं और उसी में छिपी पत्तियों को खाती हैं और बाद में फूलों, फलों को नुकसान पहुॅचाती हैं। इनसे बचाव हेतु मोनोक्रोटोफॉस ३६ प्रतिशत १.००० लीटर या क्यूनालफॉस २५ प्रतिशत १.२५० लीटर प्रति हे० की दर से ८०० लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। धान का तना छेदक के लिए इस कीट की पूर्ण विकसित सूड़ी हल्के पीले रंग के शरीर तथा नारंगी पीले रंग की सिर वाली होती है जो फसल के लिये हानिकारक है। इनके आक्रमण के फल स्वरूप फसल के वानस्पतिक अवस्था में मृत गोभ तथा बाद में प्रकोप होने पर सफेद बाली बनती है। इनके नियंत्रण हेतु कार्बोफ्यूरान ३जी २० कि०ग्रा० या कारटाप हाइड्रोक्लोराइड ४ प्रतिशत दानेदार चूर्ण १७-१८ कि०ग्रा० प्रतिहेक्टेयर की दर से प्रयोग करें। उन्होंने कहा कि धान की पत्तियों का भूरा धब्बा होने पर पत्तियों पर गहरे कत्थई रंग के गोल अण्डाकार धब्बे दिखाई देते हैं तथा इन धब्बों के चारों तरफ हल्के पीले रंग का घेरा बन जाता है जो इस रोग का विशेष लक्षण है। इसके उपचार हेतु मैंकोजेब ७५ प्रतिशत या जिनेब ७५ प्रतिशत रसायन को २ कि०ग्रा० प्रति हेक्टेयर की दर से ८०० लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। धान का शीथ झुलसा हेतु पत्तियों के निचले भाग पर अनियमित आकार के धब्बे बनते हैं जिनका किनारा गहरा भूरा तथा बीच में हल्के रंग का होता है। इसके उपचार हेतु कार्बेण्डाजिम ५० प्रतिशत एक कि०ग्रा० या कार्बेण्डाजिम ५०० ग्राम और मैंकोजेब ७५ प्रतिशत रसायन २५० ग्राम मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से ८०० लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। धान का जीवाणु झुलसा पडने पर पत्तियों की नोक और उनके किनारे सूखने लगते हैं और किनारे अनियमित एवम् टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं। लक्षण दिखते ही यूरिया की टापड्रेसिंग रोक देनी चाहिये और उपचार कार्य हेतु कापर आक्सीक्लोराइड ५० प्रतिशत घु०चू० ५०० ग्राम और स्ट्रेप्टोसाइक्लीन १५ ग्राम मिलाकर प्रतिहेक्टेयर की दर से ८००लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। उर्द/मूॅग का पीला चित्र वर्ण रोग में पत्तियों पर सुनहरे पीले चकत्ते पड़ने लगते हैं और रोग की उग्र अवस्था में पूरी पत्ती पीलीपड़ जाती है। पूर्ण रूप से रोग ग्रस्त पौधे को उखाड़ कर नष्ट कर दें तथा उपचार कार्य हेतु डाइमेथोएट ३० प्रतिश ई०सी ०१.५०० लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से ८०० लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। धान का फुदका रोग में इस कीट के शिशु एवम् प्रौढ़ दोनों पौधों के किल्लों के बीच रहकर पत्ती का रस चूसते हैंै। आवश्यकता से अधिक चूसा हुआ रस निकलने के कारण पत्तियों पर काला कंचुल हो जाता है। वानस्पतिक अवस्था में इसके प्रकोप से पौधे छोटे रह जाते हैं। इसे हापर बर्न कहते हैं। इसके उपचार हेतु नीम आयल १.५०० लीटर या क्यूनालफॉस २५ प्रतिशत १.५०० लीटर या इमिडाक्लोप्रिड १७.८ प्रतिशत २५० मि०ली० प्रतिहेक्टेयर की दर से ८०० लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

समाधान व्यूज :  

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