अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की पहचान है हिन्दीः डा. यदुवंशी
समाधान न्यूज 365:
अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की पहचान है हिन्दीः डा. यदुवंशी
‘अंग्रेजी में 26 अक्षर होते हैं, हिन्दी में कितने?’ विषयक संगोष्ठी आयोजित
जौनपुर। हिन्दी दिवस पर शिक्षाविद् डा. ब्रजेश यदुवंशी की अध्यक्षता में सिविल लाइन स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष ‘अंग्रेजी में 26 अक्षर होते हैं, हिन्दी में कितने?’ विषयक संगोष्ठी हुई। इस मौके पर डा. ब्रजेश यदुवंशी ने कहा कि बहुत से पढ़े लिखे लोगों को भी नहीं मालूम कि हिन्दी में कितने अक्षर होते हैं। हिन्दी अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की पहचान बन गयी है। विश्व के कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जाती है और कई विदेशी विद्वान हिन्दी में महत्वपूर्ण शोध कार्य में लगे हैं। उन्होंने कहा कि हिन्दी की रोटी खाने वाले भी हिन्दी के साथ न्याय नहीं कर पा रहे हैं। हिन्दी के नाम पर मोटी रकम लेना और राष्ट्रभाषा हिन्दी को पूरी तरह स्थापित करना दोनों अलग काम है। हिन्दी भाषा अगर राजनीति की शिकार न हो तो मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि राष्ट्रीय एकता में हिन्दी ही सबसे ज्यादा कारगर साबित होगी। अन्त में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने हाथ में तख्ती लेकर मौन प्रदर्शन के साथ ही गांधी जी द्वारा की गई हिन्दी सेवा को याद करते हुए लोगों ने श्रद्धापूर्वक नमन किया। कार्यक्रम का संचालन कृष्ण मुरारी मिश्र ने किया। इस अवसर पर अनिल केसरी, राज सिंह, शिवम शुक्ल, अम्बरीश सिंह, साहब लाल यादव, अवनीश पाण्डेय, प्रदुम्न सरोज, आजाद, गोविन्द देहाती, रितेश आदि उपस्थित रहे।
‘अंग्रेजी में 26 अक्षर होते हैं, हिन्दी में कितने?’ विषयक संगोष्ठी आयोजित
जौनपुर। हिन्दी दिवस पर शिक्षाविद् डा. ब्रजेश यदुवंशी की अध्यक्षता में सिविल लाइन स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष ‘अंग्रेजी में 26 अक्षर होते हैं, हिन्दी में कितने?’ विषयक संगोष्ठी हुई। इस मौके पर डा. ब्रजेश यदुवंशी ने कहा कि बहुत से पढ़े लिखे लोगों को भी नहीं मालूम कि हिन्दी में कितने अक्षर होते हैं। हिन्दी अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की पहचान बन गयी है। विश्व के कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जाती है और कई विदेशी विद्वान हिन्दी में महत्वपूर्ण शोध कार्य में लगे हैं। उन्होंने कहा कि हिन्दी की रोटी खाने वाले भी हिन्दी के साथ न्याय नहीं कर पा रहे हैं। हिन्दी के नाम पर मोटी रकम लेना और राष्ट्रभाषा हिन्दी को पूरी तरह स्थापित करना दोनों अलग काम है। हिन्दी भाषा अगर राजनीति की शिकार न हो तो मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि राष्ट्रीय एकता में हिन्दी ही सबसे ज्यादा कारगर साबित होगी। अन्त में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने हाथ में तख्ती लेकर मौन प्रदर्शन के साथ ही गांधी जी द्वारा की गई हिन्दी सेवा को याद करते हुए लोगों ने श्रद्धापूर्वक नमन किया। कार्यक्रम का संचालन कृष्ण मुरारी मिश्र ने किया। इस अवसर पर अनिल केसरी, राज सिंह, शिवम शुक्ल, अम्बरीश सिंह, साहब लाल यादव, अवनीश पाण्डेय, प्रदुम्न सरोज, आजाद, गोविन्द देहाती, रितेश आदि उपस्थित रहे।
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