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कानून के अधिकार को मौलिक अधिकार का दर्जा दिया जायः युवा अधिवक्ता संघ



समाधान न्यूज 365#

कानून के अधिकार को मौलिक अधिकार का दर्जा दिया जायः युवा अधिवक्ता संघ

जौनपुर। युवा अधिवक्ता संघ का एक प्रतिनिधिमंडल जिलाधिकारी दिनेश सिंह को राष्ट्रपति के नाम सम्बोधित पत्रक सौप करके कानून के अधिकार को मौलिक अधिकार का दर्जा दिए जाने की मांग किया। इस मौके पर दीवानी न्यायालय के अधिवक्ता विकास तिवारी ने कहा कि सन 1936 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने एक समान शिक्षा की बात उठाई थी। 2002 में संविधान के अनुच्छेद 21ए (भाग 3) के माध्यम से 86वें संशोधन विधेयक में 6 से 14 साल के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार माना गया। शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम 2009 बनाया गया जो एक साथ पूरे देश में लागू हुआ। परिणामतः देश में शिक्षित लोगों की संख्या व शिक्षा का स्तर काफी बढ़ा। देश की वर्तमान परिस्थितियों का गंभीरता से अध्ययन करने पर व देश तथा प्रदेश में बढ़ते हुए अपराध तथा आपराधिक घटनाओं को देखने पर यह आवश्यकता महसूस होती है कि भारत देश में प्राइमरी शिक्षा से ही छोटे बच्चों को कानून की अनिवार्य रूप से शिक्षा दी जाय। इस दौरान अधिवक्ता अतुल सिंह ने कहा कि कानून के विषय की जानकारी को सरकार से संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार घोषित करने की हमारी मांग जायज है जिससे शिक्षा में कानून संबंधित ज्ञान अनिवार्य रूप से लागू हो सके। समाज में बढ़ते हुए अपराध व आपराधिक घटनाओं पर नियंत्रण के लिए प्राइमरी विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को कार्टून के माध्यम से कानून की शिक्षा दिया जाए तथा बड़े बच्चों के बीच विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया जाय। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस पर विस्तृत बैठक कर जनपद ही नहीं, बल्कि प्रदेश के बहुप्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में सेमिनार आयोजित कर अधिकार को संवैधानिक अधिकार, मौलिक अधिकार का दर्जा दिया जाए, इस पर बेहतरी से प्रयास किया जाएगा। ज्ञापन देने वालो में कलेंदर बिंद, संजय सोनकर, गोपाल, अभिषेक यादव, चन्दन गुप्ता समेत अन्य अधिवक्तागण उपस्थित रहे।

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