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महात्मा गाँधी व लाल बहादुर शास्त्री जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई


 

समाधान न्यूज 365 # नीरज कुमार श्रीवास्तव

महात्मा गाँधी व लाल बहादुर शास्त्री जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई

    जौनपुर।  राजा श्रीकृष्ण दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जौनपुर के वाणिज्य संकाय द्वारा आजादी के 75वें वर्ष (अमृत महोत्सव) पर त्याग, तपस्या व बलिदान के प्रतिमूर्ति राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं सादगी, सौहार्द व सरलता के धनी, देश के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जन्म जयन्ती श्रद्धापर्वूक हर्षोल्लास के साथ मानाई गयी।

इस अवसर पर विज्ञान एवं वाणिज्य संकाय के संयुक्त परिसर में महाविद्यालय के समस्त शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की उपस्थिति में महानविभूति द्वय के चित्र पर माल्यार्पण व श्रद्धासुमन अर्पित किया गया। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के प्राचार्य कैप्टन (डाॅ0) अखिलेश्वर शुक्ला ने कहाकि महापुरूषो के जीवन में समस्याएं, बाधाएं आती है लेकिन अवरोध नहीं बल्कि उत्कर्ष का कारण बनती है, महात्मा गंाधी जो कभी सूट, टाई में रहते थे, आधी धोती जैसा लिबास अपनाकर समर्पित भाव से राष्ट्रसेवा के लिए कार्य किया, जिसे भारत सहित पूरा विश्व राष्ट्रपिता के रूप में जानता है, ऐसी ही स्थिति लाल बहादुर शास्त्री जी की भी रही। महापुरूषो की जन्म जयन्ती मनाने की औपचारिकता न होकर उनके जीवन से संघर्ष एवं राष्ट्रसेवा की प्रेरणा लेना चाहिए। “इंसान जन्म लेता है और अपने जीवन में सब सुख पाकर मृत्यु को प्राप्त करता है लेकिन महात्मा गंाधी जी जैसे महापुरूष गोली खाकर भी अमर हो जाते हैं।”

वाणिज्य संकाय अध्यक्ष डाॅ0 रजनीकांत द्विवेदी ने आज समाज में स्वच्छता की परम आवश्यकता है क्योंकि समस्त जगह पर गंदगियां व्याप्त है, मन की स्वच्छता तन की स्वच्छता और समाज की विचारांे की स्वच्छता आवश्यक है, तभी गंाधी जी का हम वास्तविक अनुशरण कर सकेगें

मुख्य अनुशास्ता डाॅ0 सुधा सिंह ने कहाकि शिक्षक समाज को संदेश देने का कार्य करता है आज यह संदेश समस्त प्राध्यापकों एवं प्राध्यापिकाओं की तरफ से है कि संघर्ष और सेवाभाव के बिना राष्ट्रनिर्माण नहीं हो सकता।

आई0क्यू0ए0सी0 समन्वयक डाॅ0 अभय प्रताप सिंह ने कहाकि महात्मा गंाधी के न्याशीलता का सिद्धान्त समाज के अंतिम व्यक्ति को भी मुख्य धारा में जोड़ने के लिए प्रेरित करता है, वर्तमान समय में महात्मा गांधी जी के इस सिद्धान्त को आत्मसात कर लिया जाए तो समाज में बहुत सारी कुरूतियां स्वतः ही समाप्त हो जाएगी।

डाॅ0 अवधेश द्विवेदी, विभागाध्यक्ष भौतिकी ने कहाकि मन, वचन और कर्म से पवित्रता ही राष्ट्रोत्कर्ष की मूलमंत्र है।

इसके पश्चात वाणिज्य एवं विज्ञान संकाय परिसर में स्वच्छता एवं वृक्षारोपण का कार्य समस्त उपस्थित शिक्षकों ने स्वयं द्वारा करके यह संदेश दिया कि राष्ट्रनिर्माण में साफ-सफाई एवं श्रम आवश्यक है एवं समस्त शिक्षकों द्वारा महात्मा गांधी जी द्वारा गाए जाने वाला राम धुन रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीताराम गाया गया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।

इस अवसर पर डाॅ0 ज्योत्सना श्रीवास्तव, डाॅ0 श्यााम सुन्दर उपाध्याय, डाॅ0 विजय प्रताप तिवारी, डाॅ0 राजकुमार यादव, डाॅ0 शैलेष पाठक, डाॅ संतोष त्रिपाठी, डाॅ0 नमिता श्रीवास्तव, डाॅ0 रामानन्द अग्रहरी, डाॅ0 सुधाकर शुक्ला, डाॅ0 लालसाहब यादव, डाॅ0 संतोष पाण्डेय, श्री अखिलेश गौतम, डाॅ0 ओमप्रकाश दूबे, डाॅ0 धर्म कुमार साहू, संजय कुमार सिंह, सुधाकर मौर्य व समस्त कर्मचारी उपस्थित रहे।


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