फिल्म अभिनेत्री कंगना के विरूद्ध देशद्रोह का मुकदमा दर्ज
samadhannews 365 # Niraj Kumar Srivastava
फिल्म अभिनेत्री कंगना के विरूद्ध देशद्रोह का मुकदमा दर्ज
महात्मा गांधी को सत्ता का भूखा व लालची बताने का मामला
जौनपुर। दीवानी न्यायालय के अधिवक्ता विकास तिवारी के प्रार्थना पत्र पर अपर न्यायिक मजिस्ट्रेट तृतीय ने फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के विरुद्ध देशद्रोह का मामला प्रकीर्ण वाद के रूप में दर्ज करने का आदेश जारी कर दिया। साथ ही मामले में अग्रिम सुनवाई के लिए 29 नवम्बर की तिथि भी नियत की है। परिवादी विकास तिवारी की तरफ से अधिवक्ताद्वय अवधेश तिवारी व अवनीश चतुर्वेदी ने पक्ष रखा। अपने प्रार्थना पत्र के माध्यम से कोर्ट को अवगत कराया गया कि पद्मश्री सम्मान से सम्मानित एक फिल्म अभिनेत्री द्वारा यह कहना कि अब तक शरीर में खून तो बह रहा था लेकिन वह हिंदुस्तानी खून नहीं था और जो भारत को आजादी मिली थी, वह भीख में मिली आजादी थी। असली आजादी वर्ष 2014 में मिली है। पुनः भारतीय समाज में राष्ट्रपिता की उपाधि से सुशोभित महामानव महात्मा गांधी को सत्ता का भूखा व लालची कहकर देश में अराजकता का माहौल पैदा करके देश द्रोह जैसा गम्भीर अपराध किया है, इसलिए देश व समाज के हित में कंगना रनौत को तलब कर दण्डित किया जाना चाहिए। परिवादी मुकदमा विकास तिवारी के पक्ष को रखते हुए अधिवक्ताद्वय कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 (क) में भारत के प्रत्येक नागरिक के कर्तव्य की व्याख्या की गई है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 (क) में यह स्पष्ट रूप से उल्लिखित है कि स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को भारत के सभी लोग अपने हृदय में संजोए रखें और उनका पालन करें तथा भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्य रखें। फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत पद्मश्री सम्मान से सम्मानित होने के बाद देश की एक आइकन बन गई हैं लेकिन उन्होंने विधि द्वारा दिए गए निदेश के ढंग के बारे में जिस तरह का आचरण करना था, उसकी अवज्ञा इस आशय से किया कि देश की आजादी के लिए कुर्बानियां देने वाले अपमानित हो समाज में उत्तेजना तथा उन्माद को बढ़ावा मिले।
महात्मा गांधी को सत्ता का भूखा व लालची बताने का मामला
जौनपुर। दीवानी न्यायालय के अधिवक्ता विकास तिवारी के प्रार्थना पत्र पर अपर न्यायिक मजिस्ट्रेट तृतीय ने फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के विरुद्ध देशद्रोह का मामला प्रकीर्ण वाद के रूप में दर्ज करने का आदेश जारी कर दिया। साथ ही मामले में अग्रिम सुनवाई के लिए 29 नवम्बर की तिथि भी नियत की है। परिवादी विकास तिवारी की तरफ से अधिवक्ताद्वय अवधेश तिवारी व अवनीश चतुर्वेदी ने पक्ष रखा। अपने प्रार्थना पत्र के माध्यम से कोर्ट को अवगत कराया गया कि पद्मश्री सम्मान से सम्मानित एक फिल्म अभिनेत्री द्वारा यह कहना कि अब तक शरीर में खून तो बह रहा था लेकिन वह हिंदुस्तानी खून नहीं था और जो भारत को आजादी मिली थी, वह भीख में मिली आजादी थी। असली आजादी वर्ष 2014 में मिली है। पुनः भारतीय समाज में राष्ट्रपिता की उपाधि से सुशोभित महामानव महात्मा गांधी को सत्ता का भूखा व लालची कहकर देश में अराजकता का माहौल पैदा करके देश द्रोह जैसा गम्भीर अपराध किया है, इसलिए देश व समाज के हित में कंगना रनौत को तलब कर दण्डित किया जाना चाहिए। परिवादी मुकदमा विकास तिवारी के पक्ष को रखते हुए अधिवक्ताद्वय कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 (क) में भारत के प्रत्येक नागरिक के कर्तव्य की व्याख्या की गई है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 (क) में यह स्पष्ट रूप से उल्लिखित है कि स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को भारत के सभी लोग अपने हृदय में संजोए रखें और उनका पालन करें तथा भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्य रखें। फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत पद्मश्री सम्मान से सम्मानित होने के बाद देश की एक आइकन बन गई हैं लेकिन उन्होंने विधि द्वारा दिए गए निदेश के ढंग के बारे में जिस तरह का आचरण करना था, उसकी अवज्ञा इस आशय से किया कि देश की आजादी के लिए कुर्बानियां देने वाले अपमानित हो समाज में उत्तेजना तथा उन्माद को बढ़ावा मिले।
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