#खर्राटे से छुटकारा ऐसे पाएं
#खर्राटे से छुटकारा ऐसे पाएं
आपने अक्सर कई लोगों को सोते समय खर्राटे मारते हुए देखा होगा। यह स्थिति काफी असहज करने वाली हो सकती है, इतना ही नहीं आसपास सो रहे लोगों की नींद भी खर्राटों के कारण टूट सकती है। आमतौर पर खर्राटों की समस्या को हम सभी सामान्य मानकर नजरअंदाज कर देते हैं, पर स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के संकेत के रूप में देखते हैं। जब हम जागते हैं, तो हमारे गले और ऊपरी वायुमार्ग में मौजूद ऊतक खुले होते हैं। इससे फेफड़ों में हवा आसानी से पहुंच जाती है। हालांकि, सोते समय यह ऊतक शिथिल हो जाते हैं जो वायुमार्ग को आंशिक रूप से अवरुद्ध कर सकते हैं। इसलिए, नींद में सांस लेते समय जब हवा आपके गले तक पहुंच रही होती है तो इस स्थिति में शिथिल ऊतकों को कंपन करने का कारण खर्राटे आते हैं।
लोगों को अक्सर खर्राटों के साथ सांस लेने में रुकावट का अनुभव होता है। इस प्रकार की दिक्कत ज्यादातर हृदय रोग के जोखिम से संबंधित होते हैं जिसको लेकर तुरंत डॉक्टर से सलाह लेने की आश्यकता होती है। बुढ़ापा, मोटापा, धूम्रपान या शराब पीने की आदत भी खर्राटों का कारण बन सकती है। आइए जानते हैं कि किन उपायों को प्रयोग में लाकर इस तरह की समस्या को कम करने में मदद मिल सकती है?
सोने के पोजिशन में बदलाव
यदि आप भी खर्राटे लेने की समस्या से परेशान हैं तो सोने के पोजिशन में बदलाव करके भी कुछ हद तक इस समस्या से राहत पाई जा सकती है। पीठ के बल सोने से कभी-कभी आपकी जीभ आपके गले के पीछे की ओर चली जाती है, जो आंशिक रूप से आपके गले के माध्यम से वायु प्रवाह को अवरुद्ध करती है। हवा के प्रवाह को बेहतर रखने और खर्राटों को कम करने के लिए करवट सोने से भी आराम मिल सकता है।
यदि आप भी खर्राटे लेने की समस्या से परेशान हैं तो सोने के पोजिशन में बदलाव करके भी कुछ हद तक इस समस्या से राहत पाई जा सकती है। पीठ के बल सोने से कभी-कभी आपकी जीभ आपके गले के पीछे की ओर चली जाती है, जो आंशिक रूप से आपके गले के माध्यम से वायु प्रवाह को अवरुद्ध करती है। हवा के प्रवाह को बेहतर रखने और खर्राटों को कम करने के लिए करवट सोने से भी आराम मिल सकता है।
वजन कम करना खर्राटे की समस्या का कारगर समाधान
मोटापा को नींद के दौरान खर्राटे लेने का सामान्य कारण माना जाता है। अधिक वजन वाले व्यक्ति की मांसपेशियों की टोन अक्सर खराब होती है जिसके कारण गर्दन और गले के आसपास के ऊतकों में वृद्धि हो जाती है। इससे सोते समय बार-बार खर्राटे आ सकते हैं। आहार और जीवनशैली में बदलाव करके वजन को नियंत्रित करने और खर्राटों की समस्या से राहत पाई जा सकती है। वजन कम करने से कई तरह की अन्य बीमारियों का जोखिम भी कम हो जाता है।
मोटापा को नींद के दौरान खर्राटे लेने का सामान्य कारण माना जाता है। अधिक वजन वाले व्यक्ति की मांसपेशियों की टोन अक्सर खराब होती है जिसके कारण गर्दन और गले के आसपास के ऊतकों में वृद्धि हो जाती है। इससे सोते समय बार-बार खर्राटे आ सकते हैं। आहार और जीवनशैली में बदलाव करके वजन को नियंत्रित करने और खर्राटों की समस्या से राहत पाई जा सकती है। वजन कम करने से कई तरह की अन्य बीमारियों का जोखिम भी कम हो जाता है।
शराब-धूम्रपान से बचाव भी खर्राटे की सम्मया से दिलाता है छुटकारा
शराब-धूम्रपान, यह दोनों ही आदतें खर्राटे की समस्या को बढ़ा सकती हैं। शराब, गले की मांसपेशियों को प्रभावित करती है जिसके कारण आपको खर्राटे आने की दिक्कत हो सकती है। साल 2020 के एक अध्ययन के अनुसार शराब की आदत आपकी नींद की गुणवत्ता को भी प्रभावित करती है जिससे कई तरह के स्वास्थ्य जोखिमों का खतरा बढ़ जाता है। इसी तरह धूम्रपान की आदत भी खर्राटों की समस्या का कारण बन सकती है।
शराब-धूम्रपान, यह दोनों ही आदतें खर्राटे की समस्या को बढ़ा सकती हैं। शराब, गले की मांसपेशियों को प्रभावित करती है जिसके कारण आपको खर्राटे आने की दिक्कत हो सकती है। साल 2020 के एक अध्ययन के अनुसार शराब की आदत आपकी नींद की गुणवत्ता को भी प्रभावित करती है जिससे कई तरह के स्वास्थ्य जोखिमों का खतरा बढ़ जाता है। इसी तरह धूम्रपान की आदत भी खर्राटों की समस्या का कारण बन सकती है।
खर्राटे का समाधान पानी प्रचुर मात्रा में पियें
निर्जलीकरण के परिणामस्वरूप आपकी नाक में बलगम बनता है जिससे खर्राटे आ सकते हैं। इसलिए, थोड़ी-थोड़ी देर पर पानी पीते रहें। खुद को हाइड्रेटेड रखना खर्राटों के लिए सबसे आसान प्राकृतिक उपचारों में से एक हो सकता है। शरीर को हाइड्रेटेड रखकर आप कई तरह के स्वास्थ्य जोखिमों को भी काफी हद तक कम कर सकते हैं।
निर्जलीकरण के परिणामस्वरूप आपकी नाक में बलगम बनता है जिससे खर्राटे आ सकते हैं। इसलिए, थोड़ी-थोड़ी देर पर पानी पीते रहें। खुद को हाइड्रेटेड रखना खर्राटों के लिए सबसे आसान प्राकृतिक उपचारों में से एक हो सकता है। शरीर को हाइड्रेटेड रखकर आप कई तरह के स्वास्थ्य जोखिमों को भी काफी हद तक कम कर सकते हैं।
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