प्रबल आस्था का पावन केन्द्र है मां आद्याशक्ति दक्षिणा काली मंदिर
Samadhannews365#Niraj Chitravanshi
प्रबल आस्था का पावन केन्द्र है मां आद्याशक्ति दक्षिणा काली मंदिर
जौनपुर। शहर के दक्षिणी छोर पर सिटी स्टेशन रेलवे क्रासिंग के निकट फ्लाई ओवरब्रिज के बगल में स्थित काली धाम श्री मां आद्याशक्ति दक्षिणा काली का मंदिर श्रद्धालुओं के प्रबल आस्था का केंद्र है। इस मंदिर में दर्शन-पूजन करने हेतु शहर के अलावा कई जिलों से श्रद्धालु लोग आते हैं। मंदिर की स्थापना भगवती सिंह वागीश अनेक सिद्धपीठों पर तपस्या करते हुये मां दक्षिणेश्वर काली कोलकाता मंदिर पर पहुंचकर नवरात्र 1983 में जल पर व्रत रहकर घनघोर जप-तप किया। सप्तमी कालरात्रि की अर्धरात्रि में उन्हें मां काली ने साक्षात दर्शन देते हुए कहा कि मेरे मंदिर की स्थापना करो और जाकर अपने जनपद में मंदिर स्थापित करने के लिए आशीर्वाद देकर अन्तरध्यान हो गयीं। कलकत्ता से अपने जनपद में आकर मां काली के मंदिर निर्माण हेतु इस प्रखर तपस्वी ने जमीन खरीदकर कुछ विशेष भक्तों के सहयोग से मंदिर निर्माण शिवरात्रि के दिन सन् 1984 में कराना शुरू कर दिया जो आज दिव्यतम एवं महान आकर्षणमयी प्रतिमा का स्वरूप अंतःकरण को स्पर्श करता है। ऐसी मनोहारी मूर्ति कहीं अन्यत्र देखने को नहीं मिलती। प्रत्येक नवरात्रि सहित अन्य अवसरों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु मत्था टेकने मां के मंदिर पर आते हैं। तब से आज तक 38 साल हो गया है। इस दक्षिणा काली मंदिर पर शिवरात्रि के दिन दो दिवसीय वार्षिक शृंगार उत्सव एवं स्थापना दिवस मनाया जाता है। विशाल भंडारे का भी आयोजन होता है जहां हजारों लोग महाप्रसाद ग्रहण करते हैं जो अब तक अनवरत चला आ रहा है। यहां के लोगों का कहना है कि हर किसी की मनोकामना मां काली तत्काल पूरी करती हैं। सच्चे मन से की गयी उपासना भक्तों के कष्टों को मां हर लेती हैं। मां काली उपासक वागीश जी का कहना है कि मां दक्षिणा काली अत्यंत दयालु एवं कल्याणकारी हैं। वह एक पल में हमारे कष्टों का विनाश करके सौभाग्य का उदय कर देती हैं। तंत्रों में कहा गया है कि कलि काल में काल और काली ही सिद्ध है। मां काली असंभव को संभव कर देती हैं। मां करम की रेख पर मेख मार देती है और विधि के अजर विधान को टाल देती है। सच्चे मन से की गयी उपासना कभी विस्फल नहीं जाती है। विधि-विधान से की गयी उपासना अत्यंत श्रेस्कर एवं उपयोगी होती है। काली का नाम लेने से काल कोसों दूर भाग जाता है। मनसा-वाचा-कर्मणा से की गयी उपासना पर माता अतिशीघ्र प्रसन्न होकर अपने भक्तों को निहाल कर देती हैं। यह ध्रुव सत्य है जिसे मां की करुणा का पता जानना है तो एक बार सविनय गुहार लगाकर देख सकता है। सच कहा गया है कि काली कलयुग में कमाल कर देती हैं। अपने भक्तों को मालामाल कर देती हैं। काली तंत्र में कहा गया है कि जो पूर्ण मनोयोग से काल और काली अर्थात शिव एवं शिवा की उपासना करता है, उसके सामने कलयुग में मां प्रकट भी हो जाती हैं। मां काली रामकृष्ण परमहंस को साक्षात दर्शन देती थीं। वे मां से बात भी करते थे। मां काली का विशेष मंत्र है- कलो काली, कलो काली, कलो काली तू केवला। साधिता काल नाथेन प्रत्यक्षा कालिका कलो।। इस मंत्र का जप करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
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