महानुभाव शेखी बघाचते हुए
दण्डवृत्ति कमजोर के प्रति ही मनवृत्ति बनती है, जबकि यह वृति किसी अपेक्षाकृत उच्चशक्ति के प्रति शांतिवृत्ति में परिवर्तित हो जाती है, अर्थात जहाँ कुटाई होने का भय रहता है वहां सामर्थ्य की डींग हांकने वाला भी बकरियाई मेंमेंमेंमें करता है.....
मन वृत्ति जिससे पार पा जाने का भ्रम में आएगी
उसको गरियाएँगी।
जो कापरे चढ़ सकता है
उससे पूंछ न रहे तब्बो,
दबा के भाग जाएंगी,
बात आठ से दस साल पुरानी है,
एक वैन सवार अपनी वैन से उतरकर, एक रिक्शे वाले को कूंट रहा था, पहले तो रिक्शे वाला, हतप्रभ, शांति से कुंटता रहा, और वैन पर सवार महानुभाव शेखी बघाचते हुए अपनी वैन की ओर बढ़े, अब ना जाने क्या हुआ कहाँ से रिक्शे वाले में बॉलीवुड का सन्नी देओल जाग गया कि रिक्से वाले ने जो धोबिया पछाड़ धुनाई किया, बिना पैसों के की, बस पूछिए मत, महाशय बिना किसी तीन -पांच के ऐसा नौ-दो- ग्यारह हुए कि बिना सिंग के गदहा का मुड़वाई हो गया।
इसलिये मन पर काबू रखना ज्यादा जरूरी है क्या पता कौन सन्नी देओल निकल जाए,
सबसे अच्छी विद्या है कि,
लड़ाई झगड़ा किसी भी समस्या का हल हो ही हैं सकता।
#नीरनीरज✍️ #nirajchitravanshi
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