सर्वदा रहेगा
सत्य तो ईश्वर स्वरूप है सर्वदा रहेगा, असत्य ईश्वर विहीन कुछ करने का दुस्साहस है यह कितनी देर टिकेगा, भगवान ही सत्य है,
भगवान ही, भ-भूमि है,
भगवान ही, ग-गगन है,
भगवान ही, व-वायु है,
भगवान ही, अ-अग्नि है,
भगवान ही, न-नीर (जल) है,
यह शाश्वत पवित्र है 'सत्य' रह जाता है 'असत्य' का कीचड़ बह जाता है।
असत्य को होने का नाटक करना होता है, सत्य को कुछ करना ही नहीं वह सत है ही, यह स्वयं में भू है प्रभु को कौन मिटा सकता है।
✍️🙏🌷नीरनीरज
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