खुशियों पर काली नजर तो
तुम्हें अच्छा नहीं लगता तो कोई दिखावा भी ना करे, तुम्हें अच्छा नहीं लगता आंखे बंद कर लो, कमाने वाले ने कड़ी मेहनत करके कमाया है, कमाने के लिए कितने संघर्ष किया वो तो तुमने देखा नहीं, किसी ने दिन रात एक करके कुछ कमाया, कामयाबी हासिल की तो, अब वह दिखाने से भी गया, क्यों भाई? जितना दिखाया जा सकता है, उतना दिखाओ, जितना कमाया है उतना दिखाओ, जो प्रभु ने दिया है उसे जीने से परहेज कैसा जो जो तुम्हारी योग्यताएं हैं तुम वही तो दिखा सकते हो, अयोग्यताएँ बुराइयां तो वैसे भी कोई नहीं दिखाना चाहता, यानि सब अच्छा ही दिखाने का चलन है, तो अच्छा दिखाने या देखने से परहेज कैसा? यदि कोई दिखावा कर रहा है हो तो तुम्हें इस बात से ऐतराज कैसा? तुमने कमाया है, तुम भी दिखाओ, तुम अकड़ जाओ, पर किसी के दिखावे पर ऐतराज करने का तुम्हरा कोई अधिकार नहीं, तुम कुंठित विचारधारा हो जो किसी की खुशहाली देख नहीं सकते, तुम ईर्ष्यालु हो, तुम भी धनवान बनो, चाहते हो दिखावा भी करो, पर किसी की खुशियों पर काली नजर तो ना रखो,
इस जीवन से पूर्व का कुछ पता नहीं, इस जीवन के बाद क्या होगा कुछ पता नहीं, मिलाजुला के यह जीवन ही तुम्हारा है जितना जी सकते हो उतना जीओ, हाँ इस तरह जीने में भी इतना पता रहे कि स्वयं की खुशियां जीना है, मानवीयता की मर्यादा में जीना है, जिस दायरे के भीतर खुद के बच्चे को देखना चाहते हैं उसी दायरे का भीतर रहना है। खुश रहना कभी दिखावा नहीं किसी को पसंद आए न आए।
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