असत् पर हो रही चर्चा,
अलग से तुम थलग क्यूँ हो।
असत् जब है नहीं तुममें,
तो परिधि में तुम कहाँ पर हो।
ये दाढ़ी में फंसा तिनका,
तुम्हारा है कहाँ, जो तुम गुम हो।
ये रावण की कहानी में,
अलग क्यूँ , हो खड़े प्रियवर
यदि! तुम राम के गुण हो।
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Written by #nirajchitravanshi
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