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अगले जन्म में भी आप इंसान होंगे

जिस प्रकार जन्म लेने और आयु बढ़ते रहने के क्रम में इंसान पढ़ाई शुरू करते हुए एक कक्षा से दूसरी कक्षा, दूसरी से तीसरी, तीसरी से चौथी आगे की ओर ही बढ़ता रहता है, उसी प्रकार 84 लाख गर्भ की अनंत जीवन यात्रा में जन्म और मृत्यु के सतत क्रम में कोई भी जीव जिस उच्चत्तम गर्भ को प्राप्त कर लेता है, उसी गर्भ स्तर को पुनः या उच्च स्तर को प्राप्त करता है,


 "ऐसा कई मनोवैज्ञानिक शोधों" 


से जाना गया है कि जीवन हमेशा जलते हुए दीपक की भांति उर्ध्वगामी होता है, यह अपने जीवन के वर्तमान गर्भ स्थिति से निचले गर्भ की ओर नहीं जाता, जबकि मनुष्य, मनुष्य रूप में पैदा होकर भी अवचेतन मन में संग्रहीत पूर्व जन्म की स्मृतियों के आधार पर पशुविक वृत्ति का हो सकता है, पर जन्म तो निम्न से उच्च या समान गर्भ में ही होगा। वह अपने आगे के जन्मों में उसी ऊंचाई के गर्भ को धारण करता है अर्थात यह जानकर आपको एक अजीब सा अहसास होगा कि अगले जन्म में भी आप मनुष्य गर्भ के ही जीव होंगे और यहाँ यह भी जानने वाली बात है कि आपने जीवन और मृत्यु की इस अनंत यात्रा में न जाने कितनी तरह के गर्भ को धारण किया होगा, कभी पक्षी रहे हों तो, कभी जानवर तो कभी कुछ तो, कभी कुछ, जिस तरह से कर्मों का खाता समृद्ध होता रहता है गर्भ का स्थान उच्चतर होकर मनुष्य गर्भ तक पहुंचा है। बार बार मनुष्य जन्म की प्रक्रिया में आज आप जो कर रहे हैं कमाना, खाना, मकान, दुकान, सोना चांदी, हीरे जवाहरात खरीदना,  पद प्रतिष्ठा के पीछे भागना वगैरह वगैरह न जाने कितनी बार से लगातार एक ही जीवन व्यतीत करते आ रहे हैं इसके आगे की यात्रा के लिए जीवन को उस स्तर तक पुष्ट होना होगा, जिसका एक मात्र रास्ता कर्मों की शुद्धता है....


लिख पाने हेतु उपलब्ध समस्त संसाधनों का सादर आभार...💐 


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