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प्रेरक बातें




"अंत ही नवसृजन का बीज है" 


अंत का भय कभी भी नहीं होना चाहिए। यह सृष्टि के समग्र का मूल स्वभाव है, कोई भी व्यक्ति वहीं जाकर स्थिर हो सकता है, वह भी कुछ ही समय के लिए जहां तक कि पुष्टता है यदि पुष्टता संतुष्टि से समामेलित हुआ तो स्थिर हो सकता है, क्योकि सृष्टि स्वभाव अनवरत क्रियाशीलता है, जहां उसके मौलिकता का सम्पूर्ण प्राप्त होता है अतः वहां वह कुछ समय की स्थिरता लेता है कुछ समय के बाद फिर से यात्रा शुरू होती है।

हर अंत एक नए आरंभ की ओर ले जाता है। यह हमें सिखाता है कि जीवन में हर परिवर्तन और समाप्ति एक नए अवसर और सृजन की ओर ले जाता है।

1. हर अंत एक नए आरंभ की ओर ले जाता है।

2. परिवर्तन और समाप्ति एक नए अवसर की ओर ले जाता है।

3. जीवन में हर चरण एक नए सृजन की ओर ले जाता है।

4. अंत ही नवसृजन का बीज है, जो नए विचारों और अवसरों को जन्म देता है।


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