"जन्म", "मृत्यु" व "मोक्ष
जन्म में ब्रम्हा, क्रोध में शंकर, संयम, सामंजस्य व प्रेम में विष्णु भगवान तीनों ही हमारे ही भीतर हैं।
ब्रम्ह : पूर्व जन्मों का फल "जन्म" है।
विष्णु : "वर्तमान कर्म" ही "आज और पुनर्जन्म" का "मर्म" है।
शंकर : "असत् मनोभाव" ही अंत है।
"जन्म", "मृत्यु" व "मोक्ष" तीनों कारक शक्ति हमारे भीतर है, प्राप्ति कर्मों की गति है।
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