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किसी भी व्यवहार की वास्तविकता से दूर

 किसी भी व्यवहार को

स्वयं के विपरीत मान लेने की आदत
स्वयं को ही पीड़ा पहुचाने जैसा है।
अतः किसी भी व्यवहार की वास्तविकता से दूर
स्वयं के विचारों में, स्वयं के विपरीत न मानना ही
स्वयं के लिए श्रेयष्कर होगा।
अनंत शुभकामनाएं🌷🙏

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