एकल जीवन व्यवस्था का केंद्र है
यद्यपि चेतना एक ही शरीर के अंदर की एकल जीवन व्यवस्था का केंद्र है परन्तु इसके सरोकार आत्मकेंद्रित न होकर सार्वभौमिक हैं, क्योंकि की चेतना इस शरीर के बाहर ब्रम्हण्डिय सूक्ष्मतम का हिस्सा है। जिसका विलय शरीर के बाहर पुनः उसी में होना है। इस एक सूक्ष्मतम परमाणु का विस्तार अनंत है।
मनुष्य शरीर का निर्माण करोड़ों सेल्स के संयोग से हुआ है, और हर एक सेल्स की अकेले की क्षमता पूरे शरीर की व्यवस्थाओं को चलाने की है।
शरीर ब्रम्हण्डिय सूक्ष्मतम से निर्मित अंततः उसी में विलीन हो जाती है।
अनंत शुभकामनाएं



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