सार्वभौमिक सत्य थोड़े ही है
परमात्मा को निर्धारित करने दीजिए कि आप क्या हैं क्यों कि अन्य किसी भी प्रकार का निर्धारण तो स्वयं के अनुसार से जन्म लेता है यदि आप किसी के अनुसार में फिट नहीं बैठते वैसे ही वह स्वयं के अनुसार, आपको विशेषित करेगा। जबकि उसका अनुसार, उस जैसे ही कुछ और के अलावा, सार्वभौमिक सत्य थोड़े ही है, आप आप हैं। आपकी विशेषता यदि प्रकृति की अनुकूलता में है, ईश्वर के आशीर्वाद में है। तो फिक्र किस बात की।
कहा जाता है कि ईश्वर सबके भीतर हैं और यदि आप आत्मा के सामंजस्य में हैं तो आप बस मस्त रहें। ईश्वर का निर्धारण कभी भी गलत नहीं होगा।
और जिस किसी के भीतर ईश्वर जागृत अवस्था में है उसका निर्धारण भी देव तुल्य ही होगा।
अनंत शुभकामनाएं



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