ना इसका सत्य‚ ना उसका सत्य
According to their mental standard, looking, thinking, and judging anything is the FIRST TRUTH.
Doing, knowing, and understanding about the same, is the "SECOND TRUTH'.
But the truth is the "NATURE TRUTH", which decides what will happen after the work.
1. First is anticipation by someone.
2. The second is what is trying to be done.
3. The third and final truth is the "natural truth" that is "BRAMH STYA"
ना इसका सत्य
ना उसका सत्य
दुनियां जिससे चलती है
वह है ब्रम्ह सत्य।
अर्थात
समझे गए
किये गए से परे
जो परिणाम है
वही ब्रम्ह सत्य है।






देखना, सोचना और निर्णय करना ही प्रथम सत्य है।
करना और जानना ही द्वितीय सत्य है।
लेकिन वास्तविक सत्य "प्राकृतिक सत्य" है, जो यह तय करता है कि कार्य के स्वयं की समग्रता में वास्तव में क्या होगा।
यहाँ समझना चाहिए कि किसी भी घटना के 3 सत्य हैं
1. पहला है किसी के द्वारा पूर्वानुमान।
2. दूसरा है क्या करने की कोशिश की जा रही है।
3. तीसरा और अंतिम सत्य प्राकृतिक सत्य है "ब्रह्म सत्य"
ना इसका सत्य
ना उसका सत्य
दुनियां जिससे चलती है
वह है ब्रह्म सत्य।
अर्थात
समझे गए
किये गए से परे
जो परिणाम है
वही ब्रम्ह सत्य है।
एक सूत्र
-सत्य साधो



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