भीतरी तल पर आनन्दित होने की बात है
जिंदगी की "वास्तविक समृध्दि" भीतरी तल पर आनन्दित होने की बात है। कहीं भी होकर आनंद का अनुभव कर पाना ही वास्तविक जीवन है, समग्रता में कुछ के होने या न होने से प्रभावित हो जाना ही, चिंता का कारण हो सकता है। अतः इस जीवन के कुछ से भी आसक्ति इतनी गहरी नहीं होनी चाहिए कि उसकी अनुपस्थिति बेचैनियों का विषय बन जाय।
- Niraj 



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