तो भागते रहने की बेचैनियों से
सिकंदर!
जितना तुम्हारा सामर्थ्य है, उसके आधार पर
बिना किसीको नुकसान पहुंचाए,
एक सुखमय जीवन व्यतीत कर सकते हो,
और ठहराव की संतुष्टि का आनंद भी प्राप्त कर सकोगे।
ठहर जाने की गति को
यदि समझ लिया गया हो
तो भागते रहने की बेचैनियों से
निजात मिल सकता है।








डायजनीज नामक एक यूनानी संत की मुलाकात सिकंदर से हुई, तो संत ने पूछा सिकंदर इतनी मारकाट इतना सबकुछ जीतने के बाद या और जो कुछ भी तुम जीतना चाहते हो उसे भी जीत लेने के बाद क्या करोगे?
तो सिकंदर शांत निरुत्तर कुछ पल को बिल्कुल मूर्ति बन गया कुछ पल सोचने के बाद उसने कहा कि बहुत थक गया हूँ आराम करूंगा।
तो संत ने कहा जब इतनी मारकाट के बाद भी आराम ही करना है तो, आओ मेरे बगल में काफी जगह खाली पड़ी है, तुम भी आराम करो, नाहक क्यों स्वयं के सुख चैन को समाप्त कर बेचैनियों के पीछे भागते हो।







जितना तुम्हारा सामर्थ्य है उसके आधार पर बिना किसीको नुकसान पहुंचाए, एक सुखमय जीवन व्यतीत कर सकते हो, और ठहराव की संतुष्टि का आनंद भी प्राप्त कर सकोगे।
क्रमशः
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