जिसे नैसर्गिकता से स्नेह है।वह हमेशा स्थिर मन, मान सम्मान की अभिलाषा से मुक्त,शांत भाव में हंसते रहकर,'इसके व उसके सत्य से दूर'"ब्रम्ह सत्य" के निश्चित आयाम की समझ में संतुष्ट जी सकता है।#nirajchitravanshi #writer
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