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Showing posts from August, 2025

inflation

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  आजकल की चालांक सरकारें अर्थव्यवस्था के आंकड़ों को कुछ इस प्रकार सार्वजनिक करती हैं कि आम जनता को वास्तविकता की जानकारी हो ही नहीं सकती  बात इन्फ्लेशन की करें तो दिखाए जाने वाले डाटा में मात्र पेट्रोल, खाद्यान्न में हो रही प्रतिवर्ष मूल्य वृद्धि को inflation कहकर जनता के सामने रखा जाता है जिसमें इन्फ्लेशन रेट 5 से 6%  दिखता है जबकि पेट्रोलियम, दाल, रोटी, फल, सब्जी के अलावा भी तो अन्य तमाम वस्तु और सेवा के मूल्य में वृद्धि हो रही है परन्तु इसे मुद्रास्फीति के सरकारी आकड़ो से बाहर रखा जाता है।  मूल्य वृद्धि तो हर ओर हर महीने हर साल हो रही है।जो वास्तव में 10 से 12 प्रतिशत के आस पास होती है। यही कारण है कि भारतीय अर्थव्यवस्था कभी स्थिर हो ही नही पाती।  जबकि अमेरिका व अन्य विकसित देशों में इन्फ्लेशन रेट 2 से 3 या 3.5 प्रतिशत तक ही रखा जाता है यही वजह है कि इन देशों के मुद्रा की वैल्यू ज्यादा होती है। अर्थशास्त्र के सैद्धांतिक सत्य के अनुसार किसी भी देश की मुद्रास्फीति जब 10% के ऊपर हो जाती है तो उसे uncontrollable inflation कहा जाता है। और 10% के ऊपर मुद्रा स्फीति को...

Upsc या अन्य किसी भी प्रतियोगी परीक्षा

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  Upsc या अन्य किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में जान देकर पढ़ने से ज्यादा जरूरी रणनीतिक तैयारी होती है जिसमें हर पेपर में पिछले सालों में पूछे गए प्रश्नों को ध्यान में रखते हुए तय करना होता है कि कहां से कितना पढ़ना आवश्यक होता है।  उदाहरण के तौर पर प्रीलिम्स में जनरल स्टडीज की तैयारी की बात करें तो यह देखना जरूरी होता है कि प्रति वर्ष इस प्रश्नपत्र में किस किस विषय जैसे हिस्ट्री, जियोग्राफी, कॉन्स्टिट्यूशन, करेंट अफेयर्स आदि किन किन चैपटरों से कितने कितने प्रतिशत सवाल पूछे जा रहे हैं तो आप देखेंगे कि यह दृष्टिकोण आपके सामने एक सुलझा व सुरुचिपूर्ण तैयारी का रास्ता बनकर आपको तैयारी हेतु प्रेरित करेगा। और यही तरीका आपको हर विषय की तैयारी में apply करना होता है, यह तरीका आपके विजन को बिलकुल साफ कर देगा। चीजें अब आसान लगने लगेंगी। क्योंकि इस विधि से अलग अलग बिखरी हुई चीजें आपके सामने व्यवस्थित दिखाई पड़ेंगी और जब आपको यह समझ में आने लगेगा कि हमें इस पैटर्न से पढ़ाई करनी है तो आपका विश्वास कई गुना ज्यादा होगा, आप मनोवैज्ञानिक रूप से भी उत्साहित होंगे। अनंत शुभकामनाएं🌷 #nirajchitravanshi...

क्यों नहीं छापती है मनमाना करेंसी ?

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  सरकारें चाहें तो भी  क्यों नहीं छापती है मनमाना करेंसी ? मुद्रा को छापने का अधिकार देश की सरकारों के पास होता है तो कोई भी देश मनमाना मुद्रा प्रिंट करके अपने देश की इकॉनमी को ठीक क्यों नहीं कर पाता हैं। आइए समझते हैं इस बात को... मुद्रा को छापने का अधिकार देश की सरकारों के पास होने के बावजूद, मनमाना मुद्रा प्रिंट करके अर्थव्यवस्था को ठीक नहीं किया जा सकता है। इसके कई कारण हैं: मुद्रास्फीति :  अधिक मुद्रा छापने से मुद्रास्फीति बढ़ सकती है, जिससे वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें बढ़ जाती हैं और मुद्रा की क्रय शक्ति कम हो जाती है। मुद्रा का अवमूल्यन:  अधिक मुद्रा छापने से मुद्रा का मूल्य कम हो सकता है, जिससे आयात महंगा हो जाता है और देश की आर्थिक स्थिति खराब हो सकती है। आर्थिक अस्थिरता :  मनमाना मुद्रा प्रिंट करने से आर्थिक अस्थिरता बढ़ सकती है, जिससे निवेशकों का विश्वास कम हो सकता है और आर्थिक विकास प्रभावित हो सकता है। विश्वास की कमी:  यदि सरकार मनमाना मुद्रा प्रिंट करती है, तो लोगों का मुद्रा पर से विश्वास कम हो सकता है, जिससे आर्थिक गतिविधियाँ प्रभावित हो सकत...

थोथा चना बाजे घाना" AI

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ये दो अक्षर का AI भारतीय अर्थव्यवस्था के A से Z तक चाहे GDP हो या PCGDP हो सबकी खाट खड़ी करने वाला है। प्रकृति से लेकर भारतीय भौतिक व्यवस्था तक सब दिशाहीन GDP को क्या खाक ठीक कर पायेगा।   मुद्रा स्फीति की दर , विकास के अनुमानित लक्ष्य को क्या खाक प्राप्त कर पायेगा। "थोथा चना बाजे घाना" "टाट में पैबंद"  कब तक लगाया जाता रहेगा। भगवान ही मालिक है। दुनियाँ के देशों की ओर गौर करो तो भारत अन्य देशों को सस्ते में सर्विस बेचने में लगा हुआ है जबकि अन्य देश प्रोडक्शन, रीसर्च & डेवलपमेंट में लगे हैं जिससे देश बुनियादी तल पर समृद्ध होता है, और हमारी शिक्षा व्यवस्था में बड़ी संख्या में बस कहने मात्र को इंजीनियर है, इनसे बस बेसिक स्तर के कुछ काम जिसकी इन्हें ट्रेनिंग दी गयी है, वही हो सकता है, ट्रेनिंग के बाहर कुछ सॉल्व करने को कह दिया जाय तो टाँय  टाँय फिस्स है। बेचारे करें भी तो कैसे?  जो पढ़ा है वही तो हो पायेगा।  इनकी भी क्या गलती,  इन्हें तो पढ़ लिखकर बस  कमाना बचपन से ही सिखाया जाता रहा है। माता पिता भी मजबूर हैं उनके पास भी वही रास्ते है। जिस पर सभी चलने...