"नैसर्गिक नियमों की परतंत्रता"
"नैसर्गिक नियमों की परतंत्रता"
जिसके अनुसरण में एक स्वप्निल इंतजार है,
उम्मीदों के साकार होने की सुखद अनुभूति व
अपरिमित उल्लास है,
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हम जीवन के लिए उपयोगी,
जिन नैसर्गिक व मनोविज्ञान के सैद्धान्तिक नियमों को मान नहीं सकते या
जीने का दबाव स्वीकार नही सकते, वह निश्चित ही समय विशेष पर कल्याणकारी है।
इन नियमों के अलावा अन्य सभी कृत्यों को जीने की स्वतंत्रता तो है ना, फिर तुम्हें वही क्यों करना है जो आध्यात्मिक, नैसर्गिक नियमों के अनुसार अनुचित है।
इन्हें अनुचित इसलिए नहीं बताया गया कि इसमें अध्यात्म का कुछ लाभ है, आध्यत्म का सबकुछ जनकल्याण के लिए प्रकृति का वरदान है, नैसर्गिकता का जनकल्याणकारी लाभ हमेशा से स्पष्ट है।
यह सारी युक्तियां हमारे ही मानसिक, शारीरिक शुद्धता हेतु निर्मित है। जिसके अनुसरण में एक स्वप्निल इंतजार है, उम्मीदों के साकार होने की सुखद अनुभूति है, आतुरता की पूर्ति का अपरिमित उल्लास है, पके हुए फलों की मौसमी मिठास है, निर्विवाद, निर्विकार, निर्विरोध, सर्वजनहित का सूकून है।
"नैसर्गिक नियमों की परतंत्रता" को स्वभाव की स्वतंत्र जल प्रवाह की भांति निर्विकार बहने दो, परतंत्रता सबकुछ अनुशाषित, सुव्यवस्थित घटित होने का अनुभवी इंतजाम है।
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अनंत शुभकामनाएं💐
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