स्वसत्संग"🌷 का लाभ
🌷"स्वसत्संग"🌷 का लाभ
यदि किसी एक ग्लास में बिना किसी चिन्तन के
थोड़ा पानी, थोड़ा नमक, थोड़ा चीनी, थोड़ी शराब, थोड़ी खुशबू, थोड़ा मिर्च, थोड़ा मसाला, थोड़ा दूध
वगैरह वगैरह एक साथ घोल दिया जाय तो
इस घोल में किसी भी तत्व का एकल अस्तित्व ही समझ नहीं आएगा और सब कुछ विकृत नजर आएगा।
वैसे ही विचार में यदि सबकुछ
यूँ ही मिला दिया जाय,
तो यह अनैच्छिक योग ही
अनेकों मानो विकार लेकर आएगा।
बात बात में क्रोध आना,आपा खो देना।
किसी भी कथन को स्वयं के विरोध में समझना।
नैराश्य होना, मन व्यथित होना, चिंता में होना आदि
दिमाग में ढेरों उलझनों के होने का सबूत है ।
इसे🌷"स्वसत्संग"🌷 के मनोयोग से
नियंत्रित किया जा सकता है।
"स्वसत्संग"
एक उपचारात्मक मनोयोग है।
जिसके लिये
राम नाम या कृष्ण नाम या
अपने आराध्य के नाम का
निरंतर मनन अपने दैनिक कार्य को करते हुए
बड़ी ही आसानी से किया जा सकता है।
साधना एक लाभ अनेक
राम राम रटते रहो
स्व सत्संग में खोय।
व्याकुल मन केतनौ रहै
लाभ बहुत भल होय।।
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#niraj chitravanshi
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