वहीं पहुंचता, हवाओं को देख लो
सभी अपनी गति में चल रहे हैं बस तुम भी चलो, नदियों को देख लो, हवाओं को देख लो, पेड़ पौधों को देख लो, इस सृष्टि के कुछ को भी देख लो किसी को किसी पथ प्रदर्शक की कोई आवश्यता नहीं बस चलते जाना ही उन्हें वहीं पहुचता जहाँ जाना तय है वे तुम्हें भी जैसे भी हो पहुंच ही जाना है कोई मागदर्शक ना हुआ तो भी तुम्हें वहीं पहुंच जाना है जहां सबको जाना है। जिस स्तर की सिद्धि को तुम प्राप्त होगे उसी गंतव्य तक जाना है आगे की शिक्षा और आगे तक ले जाएगी सिद्धि के स्तर के पड़ाव तक अवश्य पहुंचेगी, जैसे जैसे मनवृत्ति बदलती जाएगी वैसे वैसे आगे की नगरी मिलती जाएगी, जिसका जितना पुरुषार्थ होगा वह उतना ही दूर तक जाएगा कोई अखिल भारतीय उच्चतम योग्यता परीक्षा पास कर जाएगा तो कोई कहीं और अंतिम गंतव्य टीम पहुंच जाने की सिद्धि जब तक नहीं मिल जाती इस जीवन से उस जीवन भ्रमण बढ़ता जाएगा। पसंद तुम्हारी है बस कुछ भी करए रहने में सत्य ही तो रहना है।
नीरनीरज🌷✍️
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