Breaking News

प्रकृति के न्याय व्यवस्था का केंद

 बाहर कुछ भी दिखे

भीतर तो सत्य ही है

और भीतर का यही सत्य

प्रकृति के न्याय व्यवस्था का केंद है।

जहां किसी बाहरी सबूत की आवश्यकता ही नहीं।

प्रकृति के निर्णय में किसी भी प्रकार की कोई चूक संभव ही नहीं।

🌷🌷🌷🌷...........🌷🌷🌷🌷..........🌷🌷🌷🌷

सार्थक विचार का सामर्थ्य

इतना है कि वह किसी भी शरीर को 

निरोग रख सकता है।



No comments