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भ्रमित विचार

 जन्मों जन्मों से समय काल व परिस्थितियां ही चरित्र के अगम का आधार बनती हैं, बाहुल्य, बहुमत, चलन रास्ता बनता है, जिन स्थितियों परिस्थितयों का वरण हम करते हैं, उसी अनुसार हम हो जाते हैं। जबकि केंद्रीय स्थल पर, सभी सही गलत के अंतर से लब्ध हैं, परन्तु नियति जो करती है, सांसारिक माया के चक्कर में जिम्मेदारियों, मजबूरियों व परिस्थितियों से ऊपजी अज्ञानता के दबाव में, भ्रमित विचार अन्तस तल पर अशुभ का दबाव लिए, ईश्वर से क्षमा भाव में, कर्मों का परिणाम जानते हुए भी, सही गलत में लिप्त रहते है। हर जीवन की संपूर्णता का एक चक्र है, जब तक एक जीववात्मा समस्त पड़ावों की यात्रा पूर्ण नहीं कर लेती, स्वयं के सही व गलत के साथ बार बार जन्म मृत्यु चक्र में आती रहेंगी, चेतना की पुष्टता पूर्ण होने से पूर्व, किसी भी महत्वपूर्ण का भी महत्व समझ में आ ही नहीं सकता, और जब वक्त आ जाता है, तो इस समझ को रोका भी नहीं जा सकता।

अनंत शुभकामनाएं🙏🌷

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