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अपितु निरंतरता के संयोग में होगा

 वो जो लाख चाहने पे नहीं हुआ,

उससे स्प्ष्ट होता है।
कि जो हो सकता है,
वही जिंदगी में हो रहा है।
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चाहने से सब कुछ नहीं हो सकता,
और जो हो सकता है,
वही जिंदगी में हो रहा है।
जो कुछ भी जिंदगी में हो रहा है,
उससे ज्यादा होना,
चाहे के अनुसार नहीं
अपितु निरंतरता के संयोग में होगा।
सभी के जीवन में कुछ ऐसा भी है जो उसके चाहने से भी नहीं होता है तो जब यह प्रतीत हो रहा है कि यह मेरे ही करने से ही हुआ है तो वो जो लाख चाहने के बाद नहीं हुआ, वो आप क्यों नहीं कर पाए, यदि किसी एक भी कार्य के होने की वजह आप स्वयं को मान रहे हैं, तो हर कार्य आपसे क्यों नहीं हो सकता।
यदि इतनी सी बात समझ में आ जायेगी।
तो किसी महान विचारक की
यह बात भी समझ में आ जायेगी...
कि जब जन्म और मृत्यु
हमारे नियंत्रण में नहीं
तो जन्म और मृत्यु के बीच का
सबकुछ हमारे नियंत्रण में कैसे हो सकता है।
जीवन में वही हो रहा है जो होना है।
चाहे कोई योग्य है
चाहे कोई अयोग्य है
सभी का इस धरती पर
कोई ना कोई प्रयोज्य है।
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यदि सब चाहने से ही होता तो
किसी निःसंतान दंपत्ति को संतान क्यों नहीं होता
क्या वो चाहते नहीं
या वे कोई उपाय नहीं करते
कि उन्हें संतान प्राप्ति हो।
सबकुछ सही है,
फिर भी संतान नहीं है।
का अर्थ है
कुछ तो जो हमारे बस में नहीं है
जो होना था वही है,
बाकी नहीं है।
न जाने कितने लोगों को
चाहिए था बेटा पर नहीं है।
अर्थात आप जो चाहते हैं
वैसा ही हो जरूरी नहीं है।

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