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संबंधों को अनुमान के वहम से आजाद रखिये।

अनुमान वह दीमक है जो आपके भावनात्मक संबंधों के बीच के विश्वास को, भीतर ही भीतर चाट जाता है।

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खुशियां पैकेट में बंद कोई सामान नही
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Happiness is the fulfillment of a desire, only, which goes on and on and on, lifelong. In the long-term happiness, as financial independence can ensure 80% of the total happiness, the remaining 20% of emotional satisfaction may affect your 80% like I have everything but nothing.
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खुशियां पैकेट में बंद कोई सामान नही है जिसे एक बार खरीद लिया बस जीवन भर की खुशहाली सुनिश्चित हो गयी।
खुशी वास्तव में इच्छाओं की पूर्ति से जुड़ी हो सकती है, और यह जीवन भर एक सतत प्रक्रिया हो सकती है। हालांकि, यह भी महत्वपूर्ण है कि इन इच्छाओं की प्रकृति और उनसे प्राप्त खुशी की स्थिरता पर विचार किया जाए।
*इच्छाएं और खुशी:*
*अस्थायी संतुष्टि*: इच्छाओं की पूर्ति अस्थायी खुशी ला सकती है। एक बार जब नवीनता समाप्त हो जाती है या इच्छा पूरी हो जाती है, तो नई इच्छाएं उभर सकती हैं, जिससे एक सतत चक्र चलता रहता है।
*अंतहीन खोज*: इच्छा पूर्ति के माध्यम से खुशी की खोज एक अंतहीन यात्रा बन सकती है, क्योंकि समय के साथ नई इच्छाएं और लक्ष्य उभरते रहते हैं।
*आंतरिक संतुष्टि*: सच्ची खुशी आंतरिक संतुष्टि, संतोष और शांति से भी उत्पन्न हो सकती है, जिसे माइंडफुलनेस, आभार और आत्म-जागरूकता जैसी प्रथाओं के माध्यम से विकसित किया जा सकता है।
*खुशी की स्थिरता:*
*दीर्घकालिक खुशी*: स्थायी खुशी सार्थक संबंधों, व्यक्तिगत विकास और समाज में योगदान से आ सकती है, न कि केवल इच्छा पूर्ति से।
*संतुलन और संतुष्टि*: जीवन में संतुलन और संतुष्टि पाना, जो कुछ है उसके लिए आभारी होना और यथार्थवादी लक्ष्य निर्धारित करना दीर्घकालिक खुशी में योगदान कर सकता है।
*मानसिकता और दृष्टिकोण*: एक व्यक्ति की मानसिकता और दृष्टिकोण खुशी निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सकारात्मक पर ध्यान केंद्रित करना, आभार व्यक्त करना और चुनौतियों को अपनाना और उसका समाधान करना, समग्र कल्याण को बढ़ा सकता है।
*सारतः:*
इच्छा पूर्ति खुशी में योगदान कर सकती है, परन्तु जीवन की व्यापकता में इसका कोई सुनिश्चित एक मात्र आयाम नही है, जिसे प्राप्त करके सबकुछ पा लेने की खुशी मिल जाय, जीवन के व्यापक पहलुओं पर विचार कर दीर्घकालिक खुशी और संतुष्टि को प्राप्त कर भौतिक खुशियों जिसका आधार 80 प्रतिशत मामलों में धन है उसे सुनिश्चित किया जा सकता है परन्तु 20 प्रतिशत शेष भावमात्मक खुशियों का प्रभाव इतना होता है कि यदि यह संतुलित स्थिति में न हो, उक्त 80 प्रतिशत को प्राप्त कर लेने के बावजूद भावनात्मक स्तर पर खुशियों जो मानवीय संबंधों के बीच क्रिया प्रतिक्रिया पर उलझी रहती हैं का आभाव बना ही रहेगा। यदि आप हृदय तल पर कठोर नहीं है।
जबकि दो संबंधों के बीच खटाई का सबसे वाहियात दुश्मन अनुमान है।
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संबंधों को अनुमान के वहम से आजाद रखिये।
अनुमान वह दीमक है जो आपके भावमात्मक संबंधों बीच के विश्वास को भीतर ही भीतर चाट जाता है।
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धन के आलावा शेष 20% की भावनात्मक संबंधों की खुशियों पर भी आपका राज हो सकता है।
अनंत शुभकामनाएं🌷🙏

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